कृष्ण प्रेम की शाश्वत लीलाएँ..
“अरे मैय्या को तो सब पता है..।इनको कैसे पता चला की मैं पिछले जन्मो में एक बार सूकर के रूप
“अरे मैय्या को तो सब पता है..।इनको कैसे पता चला की मैं पिछले जन्मो में एक बार सूकर के रूप
संसार में जो कुछ भी हो रहा है वह सब ईश्वरीय विधान है, हम और आप तो केवल निमित्त मात्र
एक बार राधा जी सखी से बोलीं–‘सखी ! तुम श्री कृष्ण की प्रसन्नता के लिए किसी देवता की ऐसी पूजा
तुम्हारे पास जो धन संपत्ति है सुख-सुविधा के साधन है सब भगवान के दिए हुए हैं। भगवान ने उन्हें इसलिए
भगवान जब किसी जीव पर कृपा करते हैं तो वे यह नहीं देखते कि उसने कितना जप, तप, पूजा-पाठ या
परमात्मा की खोज पर निकलने में जो सबसे बड़ी बाधा है, वह मन का यह नियम है कि हमें उसका
मेरे गुरुवर मेरे गिरिधर प्यारे,दोउ एकहिं हो न सपनेहुँ न्यारे। हरि की कृपा ते मिले गुरुवर प्यारे,गुरु की कृपा ते
अयोध्या के राजा दशरथ एक बार भ्रमण करते हुए वन की ओर निकले वहां उनका समाना बाली से हो गया।
अब तौ क्या इस छबि पर वारौं,यही सोच उर आवै है ।पल-पल रोम-रोम पर तन मन,कोटिनु तुच्छ दिखावै है ॥कोटि
माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं।[8] नवरात्र के