
महामन्त्र का भाव
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।। उस दिव्योन्माद अवस्था में
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।। उस दिव्योन्माद अवस्था में
जब प्रीति होगी तब हर क्षण भगवान के भाव मे रहेंगे। कुछ भी कार्य करते हुए भगवान भाव में
महाभारत का दृष्टान्त है । एक बार भगवान श्रीकृष्ण पांडवो के बीच बातों ही बातों में कर्ण की दानवीरता और
एक बार भगवान दुविधा में पड़ गए! कि कोई भी मनुष्य जब मुसीबत में पड़ता है, तब मेरे पास भागा-भागा
कहते हैं कि भगवान कृष्ण की 16,108 पत्नियां थीं। क्या यह सही है? इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं
यहाँ प्रवेश करते ही आत्मा की सुप्त-बैटरी स्वत: ही चार्ज होने लगती है। सिग्नल मिलने लगते हैं; यदि यंत्र ठीक
कोई काम करते समय यह सोच लो कि मैं भगवान्का हूँ तो यह काम किस ढंगसे करूँ, आपके मनमें स्वतः
चराचर जगत में रुक्मिणी और राधा का संबंध श्रीकृष्ण से है। संसार रुक्मिणी जी को श्रीकृष्ण की पत्नी और राधा
जो रोम-रोम में रहता है, जो समूचे ब्रह्मांड में रमण करता है।वह “राम” आखिर क्या हैं ?… राम जीवन का
एक भक्त भगवान से कैसे जुड़ता है। यह भक्त के जीवन की कथा है। भक्त के घर की दिवार पर