माँ दुर्गा की नव शक्तियों का दुसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है|
श्रीपरमात्मने नम: यहाँ ‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ तपस्या है | ब्रह्मचारिणी अर्थात तप की चारिणी – तप का आचरण करने
श्रीपरमात्मने नम: यहाँ ‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ तपस्या है | ब्रह्मचारिणी अर्थात तप की चारिणी – तप का आचरण करने
कौवे के रूप में दिखने वाले कागभुषुंडी प्रभु श्रीराम के बहुत बड़े भक्त थे। इन्हें वरदान प्राप्त था कि वो
श्री परमात्मने नम: माँ दुर्गा अपने पहले स्वरूप में ‘शैलपुत्री’ के नाम से जानी जाती है | पर्वतराज हिमालय के
भगवान की भक्ति में डूबकर हरिदास जी जब भी गाने बैठते तो प्रभु में ही लीन हो जाते। इनकी भक्ति
१ प्रथम नवरात्रि पर मां को गाय का शुद्ध घी या फिर सफेद मिठाई अर्पित की जाती है। २ दूसरे
“अब मै अपनी आँखें खोलूं …कान्हा जी???…मै यहाँ पेड़ के पीछे और देर खड़ी नहीं रह सकती…” श्रीराधे बरगद
जब भी हम किसी शिव मंदिर जाते हैं तो अक्सर देखते हैं कि कुछ लोग शिवलिंग के सामने बैठे नंदी
. “.प्रेम की प्रकाष्ठा” दिव्य अलौकिक, अनन्य, अनन्त,आत्मा और परमात्मा का मिलन है। श्री श्यामा श्याम आठों पहर एक दुसरे
जहाँ स्वयं भगवान अवतार लेकर आएं उससे बड़ा तीर्थ और कौन हो सकता है। एक बार लक्ष्मणजी तीर्थ यात्रा पर
जय श्री राधे कृष्ण राधे राधे ये परमात्मा ने मुझ पर कृपा की है। मुझे दो तीन दिन से राधे