सोनी सोनी प्यारी प्यारी लाया हां चुनरिया
सोनी सोनी प्यारी प्यारी लाया हां चुनरिया, ज़रा ओढ़ के दिखा महरो मान बड़ा बोले टाबरियां, भाव के बंदे थारा
सोनी सोनी प्यारी प्यारी लाया हां चुनरिया, ज़रा ओढ़ के दिखा महरो मान बड़ा बोले टाबरियां, भाव के बंदे थारा
माँ मुरादे पूरी करदे हलवा बाटूंगी। ज्योत जगा के, सर को झुका के, मैं मनाऊंगी, दर पे आउंगी, मनाऊंगी, मैं
तू दाती माँ दाता वंडे तेरे चरनी खड़ा सवाली खाली सोंह मैं लै के आया , नि माँ मेरा अजे
रंगी गई रंगी गई मैं ता रंगी गई माँ दे नाम वाले रंग विच रंगी गई, मैं तकड़ी दी जींद
मेरी मैया ने मौजा ला दितिया शेरावाली ने मौजा ला दितियाँ, पाके मेरी झोली विच सूखा दे सवेरे, कर दिते
मेला आयो रे चलो केला माँ के द्वारे, चलो चले लांगुरियां ये बोले जोगणियां, माँ बैठी पाँव पसारे, मेला आयो
पाथरी आली कमाल करती है तेरे अपने भगत ने मैया माला माल करती है, पाथरी आली कमाल करती है ध्वजा
वैष्णव देवी माँ शेरावाली दुखिओं की करती है रखवाली भोग न मांगू, मोक्ष ना मांगू, धन दौलत कुछ भी ना
दर पिंडियां दे दर्शन करके मैं गद गद हो जाना, मेरी रूह दाती खुश हो जांदी तेरा दर्शन जद पावा,
माँ तेरे रुतबा सब से ऊंचा, ब्रह्मा विष्णु शिव ने ही पूजा, राम और कृष्ण भी करे भक्ति तेरी, शेरोवाली