
की की सीफ्ता करा मैं
गुरु रविदास जी दा शुक्र मनाइये, उठ के सवेरे पहला शीश झुकाइये, मिल दा नसीबा नाल इहो जेहा सतगुरु जो

गुरु रविदास जी दा शुक्र मनाइये, उठ के सवेरे पहला शीश झुकाइये, मिल दा नसीबा नाल इहो जेहा सतगुरु जो

गुरु जी आवनगे ओ फेरा पावन गे, संगत जी नजर टिकावन गे दर्श दिखावन गे, गुरु जी आवन गे, मन

मिल गए जो आप भगवन हमें, खुशीयो से भरा जहां मिला, है पाँव नहीं धरती पर उड़ने को खुला आसमान

मेरे सतगुरु तेरी नौकरी सबसे बढ़िया है सबसे खरी, खुश नसीबी का जब गुल खिला तब कही जाके ये दर

मेरे बन जाते सब काम, जब लेता हूं तेरा नाम, गुरु जी गुरु जी गुरु जी गुरु जी, जब जीवन

सुख वेले शुकराना, दुःख वेले अरदास ll हर वेले तेरा सिमरन, गावाँ मेरे दातिया ll सुख वेले शुकराना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, सुख वेले

गुरु जी मेरी और अपनी नजरिया रखिओ , गुरु जी दया भाव रखियो दया भाव रखिओ, गुरु जी तामसी काया

गुरुजी तुम्हारे प्यार ने जीना सिखा दिया, हम को तुम्हरे प्यार ने इंसा बना दिया, गुरुजी तुम्हारे प्यार ने जीना

आज भगवन गरीबों के घर आयेंगे | जितने खाली हैं दामन वो भर जायेंगे || फूल कलियों से घर को

गुरु जी मेरा जी करदा, तेरे दर दी खाख हो जावा वे चरनी लग के पाक हो जावा, गुरु जी