
हर बार मैं खुद को लाचार पाता हु
हर बार मैं खुद को लाचार पाता हु तेरे होते क्यों बाबा मैं हार जाता हु हर बार मैं खुद

हर बार मैं खुद को लाचार पाता हु तेरे होते क्यों बाबा मैं हार जाता हु हर बार मैं खुद

चहल पहल हो खाटू माहि हर ग्यारस की रात सिम प्रेमियों के होंठो पे केवल एक ही बात सजे हैं

विनती मेरी सुन लो,श्याम बिहारी जी आन पड़ा मैं बाबा,शरण तिहारी जी मैं शरण में आया तेरी,अब मुझको श्याम सम्भालो

बाधो मजा न देगा सावन मजा न देगा, तेरे बगैर बाबा फागण मजा न देगा, के पुरे बारहा महीने हम

तेरे भरोसे पे है परिवार श्याम मेरा तूने सौगाते दी है मुझे मुझपे कर्जा बहुत है तेरा तेरे भरोसे पे

श्याम दीवानों का खाटू ठिकाना होता है, बाबा को हर सुख दुःख कह के आना होता है, खाटू आके बाबा

अरमान है श्याम धनि तुझसे फाग मनाऊ मैं तुमसे रंग लगाने को खाटू में आउ मैं, अरमान है श्याम धनि

हमको बाबा कब बुलाओगे अपने दर्शन दिखा के श्याम प्रभु खाटू नगरी में कब घुमाओगे हमको बाबा …………… वो

देर पे देर लगावे से और जूता पड़वा से, महारी लाज गवावे से तेरा नाम डुबाबे, लाख टके की बात

मेरे श्याम सँवारे इक बार आजा रे, दिल ने पुकारा तुझसे आना पड़े गा, भक्तो को दर्शन दिखाना पड़े गा,