
श्री श्याम चालीसा एव स्तुति
शरण पड़ा हूँ मैं उबारो उबारो बाबा श्याम जी मात पिता गुरुदेव के कोटि कोटि कर ध्यान पीड़ा हरण श्री

शरण पड़ा हूँ मैं उबारो उबारो बाबा श्याम जी मात पिता गुरुदेव के कोटि कोटि कर ध्यान पीड़ा हरण श्री

तूने इतना दिया है मेरे सांवरे, अब होता है गुज़ारा बड़े आराम से, कितनी जल्दी बदलने लगे दिन मेरे, जान

यार बनाया तने श्याम तू फ़र्ज़ निभा दे यारी का, यार तेरा टोटे में चाले तेरा क्या फयदा साहूकारी का,

(तर्ज: जिनको जिनको सेठ बनाया…) जब जब पड़ी जरुरत तेरी , आया है तू दौड़ के , सिंहासन छोड़ के

जब भी विपदा मेरे आगे आई कभी है तेरी मोरछड़ी बाबा लेहराई तभी है मेरा तो श्याम सहारा तू ही

जितना दिया सावरिया तूने, इतनी मेरी औकात ना थी, रखली तूने बात ओ प्यारे, मुझमे तो कोई बात ना थी,

मुझे मेरे बाबा अपना बनालो, भला हूं बुरा हूं मुझको निभालो, पुजा ना जानूं तेरी भक्ति ना जानूं, कैसे मनाऊं

रखोगे जिस हाल में, रह लेंगे सरकार, चाहे सुख दुःख हो मेरे मालिक, सब हमको है स्वीकार हम तो है

झीरमीर झिरमिर आँख्या से आंसुड़ा बरसे श्याम धनि सु मिलबा ताई मनडो तरसे झीरमीर झिरमिर आँख्या से………. जल बिन मछली

कुछ दे या ना दे श्याम, इस अपने दीवाने को, दो आंसू तो दे दे, चरणों में बहाने को दो