पलपल तड़पु हर पल चाहू
पलपल तड़पु हर पल चाहू चरनामित गोपाल का वृंदावन का कृष्ण कन्हिया ध्यान ज्ञान नन्द लाल का, यशोमती जिस पर
पलपल तड़पु हर पल चाहू चरनामित गोपाल का वृंदावन का कृष्ण कन्हिया ध्यान ज्ञान नन्द लाल का, यशोमती जिस पर
मेरे कान्हा मुरली वाले बाबा नन्द के राज दुलारे, तू जब जब जब जब मुरली भजावे से, तेरी बंसी की
होली खेले नंदलाला ब्रिज में, पिचकारी लेके दौड़े कन्हाई, रंग ने को ब्रिज बाला, होली खेले नंदलाला ब्रिज में, सब
मुझे कौन जानता था तेरी बंदगी से पहले, मैं भुजा हुआ दिया था तेरी बंदगी से पहले, मैं तो खाख
हे गोपाल सांवरिया मेरे, नन्दलाल सांवरिया मेरे, मेरा कोई नहीं बिन तेरे, नन्दलाल सांवरियां मेरे, हे गोपाल सांवरिया मेरे, नन्दलाल
श्याम मेरे आ जाओ और न तरसाओ, बहुत इंतज़ार किया, ओ कान्हा अब तो दया करो ओ कान्हा अब तो
सुबह से लेकर श्याम तक मैं जपु तुम्हारा नाम , कभी कहू मैं राधे राधे कभी कहू घनश्याम, सुबह से
तेरे नाल लइया प्रीता दुनिया तो वध वे, तू ही मैनु भूल गया कर दिति हद वे, तेरे नाल यारी
करा मिन्ता मैं तेरिया बथेरिया इक वारी आजा श्याम वे फेरा पाजा श्याम वे ज़िन्दगी निमाणी मेरी रोज वाजा मारदी
करुणानिधान मोपे कृपा कर रिझिए, बृज में बसाके मोहे सेवा सुख दीजिए प्रेम से भरदो मन, गाउँ तेरे भजन, रटूं