चार दिनों की प्रीत जगत में
चार दिनों की प्रीत जगत में चार दिनों के नाते हैं। पलकों के पर्दे पडते ही सब नाते मिट जाते
चार दिनों की प्रीत जगत में चार दिनों के नाते हैं। पलकों के पर्दे पडते ही सब नाते मिट जाते
राधे राधे राधे राधे राधे, राधे राधे राधे राधे राधे, सबसे न्यारा है धाम ये प्यारा है, राधे का बरसाना
बाबा देदे दीदार मुख मोड़ न, आये दर पे सवाली खाली तोर न, लखा खुशिया दा दिन आज चड्या है,
सोजा रे सोजा रे कन्हियाँ सोजा रे नंदलाल कन्हैया, सोजा रे सोजा रे, नींदिया आ रही आ रही नींदिया सोवत
बांके बिहारी की अखियाँ जादू कर गी, अखियाँ जादू कर गई हां अखियाँ जादू कर गई, इन अंखियो ने मुझको
ज़ख़्म भी खाया कह नहीं पाया, साहस तक भी मैं कर ना पाया, आज हुआ काया समज न आया, देख
मेरे राधे रमन का लटका देखो कंधे पे आलीपड़ा पतका, मंद मुस्काये बजावे बंसी, प्यालियाँ बाजे ओ नाचे नटका देखो
तेरे नैनो में खो जाऊँ श्याम मुझे ना कुछ याद रहे, तेरी गलियों का हो जाऊ श्याम मुझे न कुछ
जब भक्त नहीं होंगे भगवान कहाँ होंगे, हर इक समस्या के समादन कहा होंगे, दानी भी हुए लाखो और दान
श्याम इतना बता दो जरा तुम मुझे, गमज़दा क्यों मेरी ज़िन्दगी रह गई, या तो तेरे करम ने तवज्ज़ो ना