राधे राधे गोविन्द गोविन्द राधे
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राधे राधे गोविन्द गोविन्द राधे राधे राधे गोविन्द गोविन्द राधे राधे राधे गोविन्द गोविन्द राधे राधे राधे गोविन्द गोविन्द राधे
लागो रे लागो मन लागो रे लागो मन श्री चरणों में लागो रे, हरि चरणों में लागो रे,प्रभु चरणों में
तेरे तट पर जो आए मां,तेरे तट पर जो आए सारे दुख कट जाए सब बिगड़े काम बन जाए नमामि
वृन्दावन मुझको बुलाले ओ बंसी वाले, मैं मुरली तेरी तू शवासा मेरी, जैसा भी चाहे बजाले ओ बंसी वाले, वृन्दावन
कृष्ण सूर्य कृष्ण चंद्र कृष्ण किरण आस है, कृष्ण धरा कृष्ण महीधर, कृष्ण नभ विश्वास है कृष्ण सुर कृष्ण सरगम
यमुना जल में तुम ऐसे नहाती हो क्यों, ना लजाती हो क्यों, इस तरह से नहाना तुम को नही चाहिए,
नज़रे श्याम से है जबसे मिलायी कश्ती भंवर से पार हुई l किस्मत मेरी चमक गयी और बाते मेरी गुलज़ार
रखियो लाज हमारी दयालु दाऊ रखियो लाज हमारी, नमन आप को रोहणी नन्द चरणों में नत मस्तक बंधन करती दुनिया
भज गोविन्दम् ‘आदि शंकराचार्य ‘ भज गोविन्दं भज गोविन्दं, गोविन्दं भज मूढ़मते। संप्राप्ते सन्निहिते काले, न हि न हि रक्षति
बनो गठड़ी वृन्दावन चलिये, वृन्दावन चलिये द्वारा उसदा मालिये, राधा लायी तुसी साड़ी लेलो श्याम लयी काली कमली,वृन्दावन चलिये बनो