कितना प्यारा दरबार सजा है
कितना प्यारा दरबार सजा है कितना सौणा दरबार सजा है जी करे देखता रहू तू है दाता तू है दानी
कितना प्यारा दरबार सजा है कितना सौणा दरबार सजा है जी करे देखता रहू तू है दाता तू है दानी
दौलत शोरथ ना ही नाम चाहिए, श्याम तेरी चौकठ पे काम चाहिए, नौकर वफादार बन के रहुगा जो कुछ भी
तेरी मुरली की ये धुन श्याम जब सुनी मैंने पनघट पे, नि चुनी छूट गई हाथो से श्याम मैं दौड़ी
सुन ले कृष्ण कन्हियाँ तेरी बंसी के सुर जब बजईया मन नाचे ता ता थाईया, गाऊ जब मैं तेरे
जगत के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है। क्यों भटकूँ गैरों के दर पे तेरा दरबार काफी है॥ नहीं
वधाई है यशोदा वधाई हो वधाई यशोदा तुम्हे लख लख वधाई हो वधाई लाल युग युग जिए नन्द रानी चाँद
छोड़ा क्यों बेसहारा रे तूने हम को ओ कन्हिया मुरली वाले ओ बंसी वाले, खुद तो मथुरा चले गए तुम
मेरे श्याम की कृपा नज़र जो मुझपे चल गई सच कह रही हूँ लाटरी मेरी निकल गई थैंक यू थैंक
किशोरी प्यारी राधा ओ श्यामा प्यारी राधा काटो मेरे सारे भाव बाधा किशोरी प्यारी राधा ओ श्यामा प्यारी राधा सब
हरी मैं तेरा, तू है हमारा हरी मैं तेरा, तू है हमारा तेरे सिवा मेरा, न कोई हमारा श्यामसुंदर हे,