
श्री वल्लभ गुरु के चरणो में मैं नित उठ शीश झुकाता हूँ
श्री वल्लभ गुरु के चरणों में मैं नित उठ शीश झुकाता हूँ मेरे मन की कली खिल जाती है जब

श्री वल्लभ गुरु के चरणों में मैं नित उठ शीश झुकाता हूँ मेरे मन की कली खिल जाती है जब

चलो जी चलो चलो वृद्धावन, बांके बिहारी के करेगे दर्शन, बांके बिहारी के बांके बांके बांग्ला, फूलन की पगियां है

नागनिया बनके डस गयी मोहन तेरी बंसुरिया मेरा गयी कलेजा चीर मोहन तेरी बंसुरिया रिम झिम मेघा बरसे चमके बिजुरिया

बैठो पास मेरे न आज कही तुम जाओ, अपनी मुरली की धुन बजा के मुझको सुनाओ करती है रिकवेस्ट तुम

आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई जो चाहो सो खाओ आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ

ईसर दास जी रा पांच बेटा बाई ऐ गोरा, पांचा रा पच्चीस होजो बाई ऐ गोरा, भर गाडो गेहुआ को

अपने घर का टेलफोन नंबर देदो मुझे श्याम करुगा बाते जम कर, तेरे दर्श को डीकत डीकत सुबह से होगी

चरणों में तेरे मिला जो ठिकाना, प्यासी को मानो कोई सावन मिला है, मैंने जो चाहा जीवन में पाया, संग

मोरे बांके बिहारी सुन लो विनती हमारी, आया शरण तिहारी लाज राखो गिरधारी , मोरे बांके बिहारी सुन लो विनती

जा रहे हो तो जाओ ब्रिज छोड़ कर सबका दिल तोड़ कर, प्रेम ब्रिज सा कन्हैया नहीं पाओ गे, ये