
ऊधो मोहे मैया की आज याद सताती है
ऊधो मोहे मैया की आज याद सताती है भैया वृंदावन को ले जा मेरी पाती है जा दिन में मथुरा

ऊधो मोहे मैया की आज याद सताती है भैया वृंदावन को ले जा मेरी पाती है जा दिन में मथुरा

जिस देश में जिस भेष में परिवेश में रहो राधा रमण राधा रमण राधा रमण कहो जिस रंग में जिस

रंग ल्याई रंग ल्याई माँ के मन बहाई, राजनी सुरंगी मेहँदी रंग लाइ, मइया थारे हाथ रचावण घनी राचणी मेहँदी

लाखों महिफिल जहां में यूँ तो, तेरी महफ़िल सी मेहिफिल नहीं है। स्वर्ग सम्राट हो या हो चाकर, तेरे दर

दिल ने ये कहा है दिल से चलेंगे साँवरे से मिलने, किया है याद बाबा ने जाना है हमें खाटू,

गाओ गाओ री बधाई उमंग भर के उमंग भर के हरस भर के नेमा भी लाई यह तो प्रेमा भी

छगन मगन मेरे लाल को आजा रे निंदिया आ, चंचल मन घनश्याम के नैनं बीच समा, आजा री निंदिया आ

तेरा दीदार क्यु नही होता मुझपर उपकार क्यु नही होता तेरी रहमत की चार बूंदो का दास हकदार क्यु नही

जाने कितने दिनों के बाद मुझे तो मेरा संवारा मिला, मैं तो करता रहु फर्याद इसी का मुझे आसरा मिला,

नैना हुए बाबरे आजा मोरे सॉवरे दरीया कव तक रखोगे मेरे सॉवरे इक दिन की ये खातिर चहू और निहारू,