
नहीं जीना नहीं जीना नहीं जीना श्याम बिन नहीं जीना
नहीं जीना नहीं जीना नहीं जीना श्याम बिन नहीं जीना, एह ऋषियां दा भरियाँ ज़ेहरा प्याला नहीं पीना, राती सतगुरु

नहीं जीना नहीं जीना नहीं जीना श्याम बिन नहीं जीना, एह ऋषियां दा भरियाँ ज़ेहरा प्याला नहीं पीना, राती सतगुरु

मेरे मन में उठे हिलोर श्याम की मस्ती चडती जावे से, दिल श्याम श्याम ही गावे है आज मने कोई

सुन प्रभु भगतो सुनो जग सारा, प्रभु को केवल प्रेम ही प्यारा, घट घट प्रेम भरो प्रेम करो बस प्रेम

कन्हिया बैठाया पहिया हो मिलन यमुना पे आउंगी मिलन तू कैसे आवे गी खोली पे तेरा बाबुल पावेगा बाबुल के

यहाँ से मैं हारा तेरे दर पे आया, समबालो मुझे श्याम तेरा ही सहारा, मेरी किस्मत भी सवारो न बाबा

तेरे दर पे आके मुझे क्या मिला है, ये मैं जानता हु या तू जानता है ज़माने की चल

बैठ रही हवेली के खोल के किवार बेदर्दी दगा दइके चले गए मोहन जाय द्वारक छाये कोन सौत संग प्रीत

राधा दौड़ी दौड़ी यमुना पे आई, हो कान्हा कैसी ये प्रीत निभाई वे, राधा दौड़ी दौड़ी यमुना पे आई आज

नी मैं लावां लैयां, हारां वाले दे नाल, हारां वाले दे नाल मुरली वाले दे नाल, नी मैं… मैंने मेहंदी

नैना श्याम है तुझसंग लागे प्रीत के बंध के नाजुक धागे, मन पे जोर न चलता कोई तेरी और ये