
रघुनन्दन चरणयुगल वन्दन हित आइ खड़े दशरथ द्वारैं।
रघुनन्दन चरणयुगल वन्दन हित आइ खड़े दशरथ द्वारैं।कौशल्या सुत दरशन पाइ सकैं निज तन मन धन उन पर वारैं।।इस दास

रघुनन्दन चरणयुगल वन्दन हित आइ खड़े दशरथ द्वारैं।कौशल्या सुत दरशन पाइ सकैं निज तन मन धन उन पर वारैं।।इस दास

आज अयोध्या नगरी में श्री राम पधारे हैं,मिलने रघुवर को देवो के देव पधारे हैं,आज अयोध्या नगरी में श्री राम

अयोध्या धाम में राम लैला की, प्राण प्रतिष्ठा है, चलो अयोध्या नगरी को, राम नाम की गूंज होगी अयोध्या धाम

प्रेम ही सत्य है प्रेम ही सुंदर, प्रेम ही शिव है प्रेम प्रीत है प्रेम मीत हैप्रेम रीत है प्रेम

प्रभु तुम हमारे स्वामी तुम प्राण प्यारे श्री राम जय राम जय जय राम हे प्रभु ये भौतिक सुख सच्चे

हे राम तुम्हारे चरणों में नमन है बारम्बार,तुम ही करता तुम ही धरता तुम ही पालन हार,हे राम तुम्हारे चरणों

श्री राम प्रभु का क्या कहना, वो प्रीत की रीत निभाते है, राम का नाम जिसकी जुबा पे आया है,

बंसी वाले को तुम याद करलोकष्ट पल में काटेंगे तुम्हारे बंसी वाले को तुम याद करलोबंसी वाले को तुम याद

अजी मैं तो राम ही राम भजूं री मेरे रामराम ही पार लगावेंगे जल थल गगन मण्डल में रामराम ही

मेरे गिनियो ना अपराध, लाड़ली श्री राधे, मेरे क्षमा करो अपराध लाडली श्री राधे, माना कि मैं पतित बहुत हूँ,