तुम्हे हृदय में बिठा लु
भगवान प्रेम में समाए हुए है। प्रेम से ही प्रकट होते हैं। कोई भी भक्त भगवान् से, बार बार विनती
भगवान प्रेम में समाए हुए है। प्रेम से ही प्रकट होते हैं। कोई भी भक्त भगवान् से, बार बार विनती
कुंभ का मेला आया रे भक्तो कुंभ का मेला आया, प्राग राज की धरती पर है कुंभ का मेला आया,
किताबे खूब मिलती है मगर चिंतन नहीं मिलता, जिसे है मौत की है चाहत उसे जीवन सदा मिलता, बावरे कौन
हे परमेश्वर हे मुक्तेश्वर , वरद हस्त से भक्ति दो ,तेरा अवलोकन सदा करुं , परमेश्वर ऐसी युक्ति दो !तेरे
हारी हु दर्द की मारी हु किस को सुनाऊ मैं अपनी कहानी दुनिया न समजा न अपनों ने जाना न
अपने चरणों की भक्ति भगवान् मुझे दे दो ।मैं भुला हुआ राही, नहीं कोई सहारा है ।मझदार में हैं कश्ती,
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।है जीत तुम्हारे हाथों में, और हार तुम्हारे हाथों में॥मेरा
ठहरी नहीं ये उम्र भी ढलती चली गयी, आदत पुरानी लीक पे चलती चली गयी, हम चाहते थे होवे हरी
निन्द्रा बेच दू कोई ले तो, रामो राम रटे तो तेरो मायाजाल कटेगी भाव राख सतसंग में जावो, चित में
तू सोच जरा इंसान तेरी क्या हस्ती है, तू दो दिन का मेहमान जगत में करता फिर घुमान, तेरी क्या