
“श्रीबिन्दु जी पर कृपा”
बात बहुत पुरानी नहीं है- वृन्दावन में गोस्वामी बिंदुजी महाराज नाम के एक भक्त रहते थे। वे काव्य रचना में

बात बहुत पुरानी नहीं है- वृन्दावन में गोस्वामी बिंदुजी महाराज नाम के एक भक्त रहते थे। वे काव्य रचना में

मन्दिर में सगुण साकार की पुजा की जाती है हम मन्दिर में जाकर सभी भगवान के सामने धुप दिपक जलाते

सत्संग बहुत दुर्लभ है और जिसे सत्संग मिलता है उस पर ईश्वर की विशेष कृपा होती हैं।बिनु सतसंग बिबेक न

“यशोदा मुक्तिगेहिनी”-कठोपनिषद3 भगवान की कृपा शक्ति व श्रम का आश्रय लेकर यशोदा रूपी मुक्ति ने प्रभु को बाँध लिया। बिना

नंगे पैर सुदबुध खोए तीनो लोको के स्वामी दौड़े चले जा रहे थे, पीछे पीछे रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा,

विशिष्ट जी करते हैं – –हे राम जो पुरुष प्रिय और अप्रिय को सुनकर ¡स्पर्श कर ¡देख कर ¡खाकर और

अक्सर तर्कवान अपनी बात को इस प्रकार रखते है। की जिंदगी भर आस्था रखने वाले की बुद्धि भी धोखा खा

सर्वप्रथम मिट्टी से निर्मित समस्त शरीरों को उनमें स्थित गुणों अवगुणों के आधार पर मनुष्यों ने उन सबका नामकरण किया!

Qus→ जीवन का उद्देश्य क्या है?Ans→ जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है जो जन्म और मरण के बन्धन

हरि कृपा…. भगवत पथ कृपा स्वरूप है, कृपा, सहज कृपा, अकारण कृपा, नित्य कृपा, अहैतुकी कृपा , केवल कृपा।कलुषित चित्त