प्रभु मुझे तुम हवा का एक झोंका ही बना दो।
प्रभु मुझे तुम हवा का, एक झोंका ही बना दो। अपने दिल के मकरंद रस को, लेकर हवा ऐसे चली,
प्रभु मुझे तुम हवा का, एक झोंका ही बना दो। अपने दिल के मकरंद रस को, लेकर हवा ऐसे चली,
जय श्री राम जी अन्तर्मन का भाव ही पुजा है। हृदय में उठते भाव को शब्द नहीं हुआ करते हैं।
भगवान से मिलन के लिए लगन समर्पित भाव प्रेम और सत्यता हैं। कोई भी कार्य करे जब तक मन लगाकर
भगवान श्री हरि को भजते हुए भक्त भगवान को हर भाव में प्रणाम करता है। प्रभु प्राण नाथ को तन
हे भगवान नाथ आज मैं तुम्हें कैसे नमन और वन्दन करू। आज ये दिल ठहर ठहर कर भर आता है।
आनंद का प्राकट्य तभी होता है।जब साधक अन्तर्मन में परम पिता परमात्मा को बैठा लेता है। परमात्मा में लीन शरीर
भगवान की चरण स्पर्श का भाव प्रकट करती हूँभक्त के अन्दर भगवान की चरण वन्दन का भाव कुट कुट कर
परमात्मा के नाम में अद्भुत शान्ति और आन्नद समाया हुआ है। भगवान का नाम जो जीव्हा पर रखते हैं। भगवान
हे परम पिता परमात्मा जी आज ये दिल तुमसे एक ही पुकार कर रहा है। कि हे स्वामी मै तुमको
कोई भगवान की स्तुति सुनाना कोई कथा का विचार करते हुए प्रेम में डूब जाना। भगवान की भक्ति की प्रेम