
महिमा ब्रज रज की
दक्षिण भारत से किसी समय एक कृष्ण भक्त वैष्णव साधु वृंदावन की यात्रा के लिए आए थे । एक बार
दक्षिण भारत से किसी समय एक कृष्ण भक्त वैष्णव साधु वृंदावन की यात्रा के लिए आए थे । एक बार
भगवान हमारे अहसास में आ गए हमारे जीवन का लक्ष्य परमात्मा को सच्चे मन से भजना है हमे देखना यह
. रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने बंगला में एक सुन्दर खण्डकाव्य लिखा है कबीर पर। उसके अनुसार कबीरदासजी मगहर में रहते
पुंडलिक जी माता-पिता के परम भक्त थे। एक दिन पुंडलिक अपने माता-पिता के पैर दबा रहे थे कि श्रीकृष्ण रुक्मिणी
युवक अंकमाल भगवान बुद्ध के सामने उपस्थित हुआ और बोला- “भगवन्! मेरी इच्छा है कि मैं संसार की कुछ सेवा
भगवान् मेरा है मै भगवान की हूं। मुझे आज और अभी भगवान से सच्चा और पका सम्बन्ध बनाना है। भगवान्
एक समय कि बात है,भगवान विष्णु सभी जीवों को कुछ न कुछ चीजें भेट कर रहे थे।सभी जीव भेट स्वीकार
शास्त्रों में विनय की महत्ता बतातेहुए यहाँ तक कहा गया है कि – विनय मानव जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान
हरि ॐ तत्सत बहुत से लोगों को मेने भगवान की भक्ति करते हुए देखा है कि,अब मुझे ठाकुर जी को
ग्रंथ भारतवर्ष की उपलब्धि है। आज कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि किसी किसी के तो यहाँ ग्रंथ ही नहीं है।