
दुख और सुख
अगर दुःख नहीं होगा तो सुख कहाँ से उत्पन्न होगी।अगर दर्द नहीं होगा दया कहाँ से उत्पन्न होगी।अगर बुराई नहीं
अगर दुःख नहीं होगा तो सुख कहाँ से उत्पन्न होगी।अगर दर्द नहीं होगा दया कहाँ से उत्पन्न होगी।अगर बुराई नहीं
एक बार एक सन्त कहीं प्रवचन दे रहे थे। अपने प्रवचन खत्म करते हुए उन्होंने आखिर में कहा, जागो,
शक्ति सुखदायी दिखती है पर शक्ति में शान्ति नहीं है। हमारे अन्दर श्रद्धा और विश्वास का समावेश हो। संसार को
जो मनुष्य सुख भोगता है वह जीतेजी माटी का पुतला हैं और जो मनुष्य भगवान को भजता वह फोलाद की
खुद के लिये जीने वाले की ओर कोई ध्यान नहीं देता पर जब आप दूसरों के लिये जीना सीख लेते
जीवन में उतार चढाव आते ही रहते हैं। हमें देखना यह होता है कि मुसीबतें हमें अन्दर से स्टरोंग बना
जीवन पथ पर हमारे सामने दो मार्ग होते है एक मोह का दुसरा सच्चाई का प्रेम का मार्ग है। मां