” परोपकार “

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खुद के लिये जीने वाले की ओर कोई ध्यान नहीं देता पर जब आप दूसरों के लिये जीना सीख लेते हैं तो वे भी आपके लिये जीने लग जाते हैं।”

निसंदेह बात बिल्कुल सत्य है। वृक्ष हमें फल तब ही दे पाते हैं जब हम उनकी अच्छे से परवरिश करते हैं, समय – समय पर खाद पानी देते हैं और उचित देखरेख करते हैं । जिस दिन हमारे मन में उनके लिए उपेक्षा का भाव आजायेगा तो वो भी हमें अपनी शीतल छाया और मधुर फलों से भी वंचित कर देंगें।

जो उपयोगी होता है वही मूल्यवान भी होता है, यही प्रकृत्ति का शाश्वत नियम है। समाज में भी जब तक हमारा जीवन परोपकार और परमार्थ में संलग्न रहेगा तब तक हमारी प्रतिष्ठा भी बनी रहेगी और जीवन उपयोगी भी बना रहेगा। परमार्थ ही प्रतिष्ठा को जन्म देता है।

आप दूसरों के लिए अच्छा सोचो, आप दूसरों के लिए जीना सीख लो, हजारों-लाखों होंठ प्रतिदिन आपके लिए प्रार्थना करने को आतुर रहेंगे तो हजारों-लाखों हाथ प्रतिदिन आपके लिए प्रार्थना करने को उठने लगेंगे।जय श्री राम



Undoubtedly the thing is absolutely true. Trees are able to give us fruits only when we take good care of them, fertilize and water from time to time and take proper care. The day we feel a sense of disregard for them, they will also deprive us of their cool shade and sweet fruits.

What is useful is also valuable, this is the eternal law of nature. In society too, as long as our life is engaged in charity and charity, then our prestige will also remain and life will also remain useful. Charity gives birth to prestige.

You think good for others, you learn to live for others, if thousands and millions of lips are eager to pray for you every day, then thousands and millions of hands will rise every day to pray for you.Jai Shri Ram

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