
बीज मंत्रो के रहस्य ” ( भाग – 2)
‘‘अमन्त्रमक्षरं नास्ति नास्तिमूलमनौषधम्’’ अर्थात कोई ऐसा अक्षर नहीं, जो मंत्र न हो और कोई ऐसी वनस्पति नहीं, जो औषधि न

‘‘अमन्त्रमक्षरं नास्ति नास्तिमूलमनौषधम्’’ अर्थात कोई ऐसा अक्षर नहीं, जो मंत्र न हो और कोई ऐसी वनस्पति नहीं, जो औषधि न

शास्त्रों में अनेकों बीज मन्त्र कहे हैं, आइये बीज मन्त्रों का रहस्य जाने १👉 “क्रीं” इसमें चार वर्ण हैं! [क,र,ई,अनुसार]

ॐ बं बुधाय नमः।ॐ अस्य श्रीबुधमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, पङ्क्तिश्छन्दः, बुधो देवता, बुं बीजं, आपः शक्ति, बुधप्रीतये जपे विनियोगः। ॐ ब्रह्माऋषये

1. वाक् सिद्धि : जो भी वचन बोले जाए वे व्यवहार में पूर्ण हो, वह वचन कभी व्यर्थ न जाये,
।।श्रीहरिः।। नामजप से जो लाभ होता है वह वर्णनातीत है।मुझे लगता है शास्त्रों और संतों ने जो नाम महिमा का

. एक घडी आधी घडी आधी में पुनि आध !तुलसी चरचा राम की हरै कोटि अपराध !!1 घड़ी = 24

यह सृष्टि चौरासी लाख योनियों का वन है, जिसमें विधाता ने हमें रखा है, जो प्रभु नाम रूपी आश्रय को

परम पूज्य श्रीसदगुरूदेव भगवान जी की असीम कृपा एवं उनके अमोघ आशीर्वाद से प्राप्त सुबोध के आधार पर, उन्हीं की

परम पूज्य श्रीसदगुरूदेव भगवान जी की असीम कृपा एवं उनके अमोघ आशीर्वाद से प्राप्त सुबोध के आधार पर, उन्हीं की

परम पूज्य श्रीसदगुरूदेव भगवान जी की असीम कृपा एवं उनके अमोघ आशीर्वाद से प्राप्त सुबोध के आधार पर, उन्हीं की