
प्राचीन मंदिरों को रहस्य
अनेक प्राचीन मंदिर ऐसे स्थलों या पर्वतों पर बनाए गए हैं, जहां से चुंबकीय तरंगें घनी होकर गुजरती हैं। इस

अनेक प्राचीन मंदिर ऐसे स्थलों या पर्वतों पर बनाए गए हैं, जहां से चुंबकीय तरंगें घनी होकर गुजरती हैं। इस

तीन ओर से घिरी सीमावर्ती पुंछ घाटी के उत्तरी भाग में पुंछ कस्बे से 23 किमी की दूरी पर स्थित

यह मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले में राजिम नगर में स्थित है। यह स्मारक छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा संरक्षित है।

रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री वृन्दावन । विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री वृन्दावन ।। जमुना

रसिक ब्रजवासियों ने श्री वृन्दावन धाम की उपासना मूल रूप से बतायी है। श्री वृन्दावन के प्रति अनन्य भाव इस

यहाँ प्रवेश करते ही आत्मा की सुप्त-बैटरी स्वत: ही चार्ज होने लगती है। सिग्नल मिलने लगते हैं; यदि यंत्र ठीक

गोवर्धन परिक्रमा……. .श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को भगवान का रूप बताया है और उसी की पूजा करने के लिए सभी

धन-धन रसिकन-धन गोवर्धन, जाने ब्रह्म लियो बिरमाय।जेहि आश्रित असंख्य विधि, हरि, हर।सोऊ आश्रय लिय येहि गिरिवर।जेहि पूजति जलजा नित निज

“ प्रायः जितने भी वैष्णव जन हैं, वह वर्ष में एक, दो, चार, दस बार वृन्दावन आते ही हैं। वृन्दावन

.एक बार प्रयाग राज का कुम्भ योग था। चारों ओर से लोग प्रयाग-तीर्थ जाने के लिये उत्सुक हो रहे थे।.श्रीनन्द