
गोपाष्टमी विशेष जबालापुत्र सत्यकामको गोसेवासे ब्रह्मज्ञान कथा
एक सदाचारिणी ब्राह्मणी थी, उसका नाम था जबाला। उसका एक पुत्र था सत्यकाम। जब वह विद्याध्ययन करने योग्य

एक सदाचारिणी ब्राह्मणी थी, उसका नाम था जबाला। उसका एक पुत्र था सत्यकाम। जब वह विद्याध्ययन करने योग्य

आलोचना में छुपा हुआ सत्य और प्रशंसा में छुपा हुआ झूठ यदि मनुष्य समझ जाए तो आधी समस्याओं का समाधान

पुनरपि जननं पुनरपि मरणं, पुनरपि जननी जठरे शयनम्।इह संसारे बहुदुस्तारे, कृपयाऽपारे पाहि मुरारेभजगोविन्दं भजगोविन्दं, गोविन्दं भजमूढमते।नामस्मरणादन्यमुपायं, नहि पश्यामो भवतरणे ॥

एक ब्राह्मण था रोज पीपल में जल चढ़ाता था। पीपल में से लड़की कहती पिताजी मैं तेरे साथ चलूँगी। ब्राह्मण

कार्तिक की कहानी एक जाट का था एक भाट का था। दोनों दोस्त थे। जाट का चला

एक पुरानी कहानीं घणी गई थोड़ी रही, या में पल पल जाय।एक पलक के कारणे, युं ना कलंक लगाय।एक राजा

भक्तमाल ग्रन्थ रचना जानकी जी की प्रधान सखी चन्द्रकला जी ही आचार्य स्वामी श्रीअग्रदेवजी महाराज के रूप में प्रकट हुई

एक साधक ने अपने दामाद को तीन लाख रूपये व्यापार के लिये दिये। उसका व्यापार बहुत अच्छा जम गया लेकिन
श्री राधा श्री राधा श्री राधा कश्मीर में तर्क रत्न, न्याय आचार्य पंडित रहते थे। उन्होंने चार पुस्तकों की रचना

एक बहुत प्रसिद्ध लामा ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि जब मैं पांच वर्ष का था, तो मुझे विद्यापीठ