जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि
एक बार राजा भोज की सभा में एक व्यापारी ने प्रवेश किया । राजा भोज की दृष्टि उस पर पड़ी
एक बार राजा भोज की सभा में एक व्यापारी ने प्रवेश किया । राजा भोज की दृष्टि उस पर पड़ी
ऊँ नमो भगवते वासुदेवायशान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशंविश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥ OM NAMAH SRI
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशंविश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम्।लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यंवन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्।। यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि
एक बार अर्जुन नीलगिरि पर तपस्या करने गए। द्रौपदी ने सोचा कि यहाँ हर समय अनेक प्रकार की विघ्न-बाधाएं आती
एक साहूकार था जिसके सात बेटे, सात बहुएं और बेटी थी। सब कोई मिट्टी लेने गई तो मिट्टी खोदते समय
कार्तिक मास की पहली कहानी किसी गाँव में एक बुढ़िया रहती थी और वह कार्तिक का व्रत रखा करती थी.
एक साहूकार था। उसके सात बेटे और एक बेटी थी। सातों भाई बहन साथ बैठकर खाना खाते थे। एक दिन
प्रेम कोई भावना नहीं है, हर व्यक्त्ति के परे प्रेम है। व्यक्त्तित्व बदलता है। शरीर, मन और व्यवहार हमेशा बदलते
।। श्रीराम विष्णु के अवतार हैं, वे आदिपुरुष हैं, जो मानव मात्र की भलाई के लिए मानवीय रूप में इस
आज का भगवद चिंतन।भगवान श्री कृष्ण भगवद गीता में कहते हैं कि इस भौतिक संसार के प्रत्येक पदार्थ में मैं