
राम नाम महिमा
ब्रह्म राम तें नामु बड़ बर दायक बर दानि।रामचरित सत कोटि महँ लिय महेस जियँ जानि।। भावार्थ-इस प्रकार ‘राम’ नाम

ब्रह्म राम तें नामु बड़ बर दायक बर दानि।रामचरित सत कोटि महँ लिय महेस जियँ जानि।। भावार्थ-इस प्रकार ‘राम’ नाम

।। श्रीरामचरितमानस- अयोध्याकाण्ड ।। चौपाई-नयनवंत रघुबरहि बिलोकी।पाइ जनम फल होहिं बिसोकी।। परसि चरन रज अचर सुखारी।भए परम पद के अधिकारी।।

श्रीरामचरितमानस- अयोध्याकाण्ड चौपाई-राम संग सिय रहति सुखारी।पुर परिजन गृह सुरति बिसारी।। छिनु छिनु पिय बिधु बदनु निहारी।प्रमुदित मनहुँ चकोर कुमारी।।

एक बार किसी गांव में एक सन्त आये और झोपड़ी बना कर रहने लगे। लोगों से उनका बहुत मतलब नहीं
भगवान के नामों का जप मनुष्य की बुद्धि को पवित्र और निर्मल करने वाला है। श्रीमद्भगवद्गीता (१० / २५) में

वेदसार शिवस्तव भगवान शिव की स्तुति है। जिसे भगवान शिव की प्रसन्नता हेतु आदिगुरु शंकराचार्य ने लिखा है। इस स्तुति

परमात्मा जब द्वार पर पधारते हैं, तो तीन वस्तुएँ माँगते हैं तीन कदम पृथ्वी अर्थात् तन,मन और धन, इन तीनों

हजार फणों वाले शेषनाग भगवान श्रीहरि के परम भक्त हैं।वे अपने एक हजार मुखों और दो हजार जिह्वाओं (सांप के

एक असुर था, दम्बोद्भव। उसने सूर्यदेव की बड़ी तपस्या की। सूर्य देव जब प्रसन्न होकर प्रकट हुए और वरदान मांगने

जीवन में सफलता की कुंजी है ‘सिद्ध कुंजिका’- दुर्गा सप्तशती में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक अत्यंत चमत्कारिक और तीव्र