
सहस्राक्षरी लक्ष्मी स्तोत्र
इस मंत्र का जप पुष्य नक्षत्र एवं शुक्रवार में अवश्य करें। यह भगवती महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण

इस मंत्र का जप पुष्य नक्षत्र एवं शुक्रवार में अवश्य करें। यह भगवती महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण
जीवन का अंतिम सत्य भगवान राम जानते थे कि उनकी मृत्यु का समय हो गया है। वह जानते थे कि

महाभारत के अनुसार परीक्षित अर्जुन के पौत्र, अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र तथा जनमेजय के पिता थे। जब ये गर्भ

सूर्य पुत्र कर्ण ने श्री कृष्ण भगवान से कहा … तो क्या ये आप का न्याय है . क्या इसी

।। ।। भगवान् शिव से बड़ा कोई भगवान विष्णु का भक्त नहीं और भगवान् विष्णु से बड़ा कोई शिव का

जय सच्चिदानंद। प्रात: स्मरामि हृदि संस्फुरदात्मतत्त्वंसच्चित्सुखं परमहंसगतिं तुरीयम्।यत्स्वप्नजागरसुषुप्तिमवैति नित्यंतद्ब्रह्म निष्कलमहं न च भूतसंघ:।।१।। भावार्थ-मैं प्रात:काल, हृदय में स्फुरित होते हुए

जय गणेशकीलक स्तोत्रम्- वेदों-पुराणों का मंत्र-तंत्र-स्तुत्ति-स्तोत्र आदि सभी कीलित है, अतः ये सभी निष्प्रभावी होते हैं। उन्हें अपने साधना करने

सांदिपनि ने सिखाई योग शक्ति से कुण्डलिनी जागृत करने की विद्या | गुरु सांदिपनि श्री कृष्ण और बलराम को कुण्डलिनी
कर्ण को कुंती ने बचपन में ही नदी में बहा दिया था तब तो उसका नामकरण भी नहीं हुआ होगा

रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम॥जय रघुनन्दन जय घनशाम। पतित पावन सीताराम॥भीड़ पड़ी जब भक्त पुकारे। दूर करो प्रभु दु:ख