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शिव आवाहनमंत्र

ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन।तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती।। वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने।नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने।आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे।।

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श्रीरुद्रद्वादशनामस्तोत्रं

प्रथमं तु महादेवं द्वितीयं तु महेश्वरम्।तृतीयं शङ्करं प्रोक्तं चतुर्थं वृषभध्वजम्।।१।। पञ्चमं कृत्तिवासं च षष्ठं कामाङ्गनाशनम्।सप्तमं देवदेवेशं श्रीकण्ठं चाष्टमं तथा।।२।। नवमं

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शिवाष्टक

(हिंदी काव्य में भाव के साथ करें बहुत ही आनंद दायक और प्रभावी है।) जय शिव शंकर, जय गंगाधर, करुणाकर

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भगवान् श्री कृष्ण की भक्तों ने भाव मे अनेक रूप और नाम से पुकारा है

उत्तर प्रदेश में कृष्ण या गोपाल गोविन्द इत्यादि नामों से जानते हैं राजस्थान में श्रीनाथजी या ठाकुरजी के नाम से

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