Scriptures

श्री चतुर्भुज जगन्नाथजी की आरती ।।

चतुर्भुज जगन्नाथ कंठ शोभित कौसतुभः।पद्मनाभ, बेडगरवहस्य, चन्द्र सूरज्या बिलोचनः।। जगन्नाथ, लोकानाथ, निलाद्रिह सो पारो हरि।दीनबंधु, दयासिंधु, कृपालुं च रक्षकः।। कम्बु

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संसारमोहन गणेशकवचम् ।।
(भावार्थ सहित)

विष्णुरुवाचसंसारमोहनस्यास्य कवचस्य प्रजापतिः।ऋषिश्छन्दश्च बृहती देवो लम्बोदरः स्वयम्।।१।। धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोगः प्रकीर्तितः।सर्वेषां कवचानां च सारभूतमिदं मुने।।२।। ॐ गं हुं श्रीगणेशाय स्वाहा मे

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भगवान राम स्तुति

।। नमो राघवाय ।। सगुनहि अगुनहि नहिं कछु भेदा।गावहिं मुनि पुरान बुध बेदा।। अगुन अरूप अलख अज जोई।भगत प्रेम बस

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भगवान श्रीराम का शब्दावतार ।।
(श्रीरामचरितमानस)

रामचरितमानस एहि नामा।सुनत श्रवन पाइअ बिश्रामा।। मन करि बिषय अनल बन जरई।होई सुखी जौं एहिं सर परई।। भावार्थ-इसका नाम रामचरितमानस

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श्रीगणेशकीलकस्तोत्रम्

।। ।। दक्ष उवाच।गणेशकीलकं ब्रह्मन् वद सर्वार्थदायकम्।मन्त्रादीनां विशेषेण सिद्धिदं पूर्णभावतः।।१।। मुद्गल उवाच।कीलकेन विहीनाश्च मन्त्रा नैव सुखप्रदाः।आदौ कीलकमेवं वै पठित्वा जपमाचरेत्।।२।।

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श्रीगणेश मंगलाष्टकम् ।।

गजाननाय गांगेयसहजाय सदात्मने।गौरीप्रिय तनूजाय गणेशायास्तु मंगलम्।। नागयज्ञोपवीदाय नतविघ्नविनाशिने।नंद्यादि गणनाथाय नायकायास्तु मंगलम्।। इभवक्त्राय चेंद्रादि वंदिताय चिदात्मने।ईशानप्रेमपात्राय नायकायास्तु मंगलम्।। सुमुखाय सुशुंडाग्रात्-क्षिप्तामृतघटाय च।सुरबृंद

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