आकाश से तात्पर्य
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि- मैं ‘आकाश’ में ‘शब्द’ हूँ ! रसोऽहमप्सु कौन्तेय प्रभास्मि शशिसूर्ययोः।प्रणवः सर्ववेदेषु शब्दः स्वे पौरुषं नृषु।।
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि- मैं ‘आकाश’ में ‘शब्द’ हूँ ! रसोऽहमप्सु कौन्तेय प्रभास्मि शशिसूर्ययोः।प्रणवः सर्ववेदेषु शब्दः स्वे पौरुषं नृषु।।
जय श्री राम ! शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदंब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् |रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिंवन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम् | सीता माता
संतों ने जगज्जननी माता सीता के तीन स्वरूप बताए हैं-१. सत्वमय,२. राजसी और३. तामसी। सीताजी का शुद्ध सत्वमय स्वरूप श्रीराम
👉महाराज दशरथ का जन्म बहुत ही एक अद्भुत घटना है पौराणिक धर्म ग्रंथों के आधार पर बताया जाता है कि👉
।श्री राम। १-शुद्ध सच्चिदानन्दघन एक परमात्मा ही सर्वत्र व्याप्त है और अखिल विश्व एवं विश्व की घटनाएँ उसी का स्वरूप
हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथो वाल्मीकि रामायण, महाभारत आदि में कई ऐसे पात्रों का वर्णन है जिनका जन्म बिना माँ के
।। ।। जो व्यक्ति इसका पाठ निरंतर करता है। शनिदेव उससे प्रसन्न रहते हैं। उसे अकाल मृत्यु तथा हत्या का
तमिल शब्द सेंगोल का अर्थ ‘न्याय’ होता है :- सेंगोल का जिक्र महाभारत और रामायण जैसे ग्रन्थों में भी मिलता
।। ।। वन्दे सिन्दूरवर्णाभं लोहिताम्बरभूषितम्।रक्ताङ्गरागशोभाढ्यं शोणापुच्छं कपीश्वरम्।। भजे समीरनन्दनं, सुभक्तचित्तरञ्जनं, दिनेशरूपभक्षकं, समस्तभक्तरक्षकम्।सुकण्ठकार्यसाधकं, विपक्षपक्षबाधकं, समुद्रपारगामिनं, नमामि सिद्धकामिनम्।।१।। सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो
उलटा नाम जपत जग जाना।वाल्मीकि भये ब्रह्म समाना।।दोस्तों! तुलसी दास जी लिखते हैँ राम चरित मानस मे कि वाल्मीकि जी