
भगवान का पेट कब भरता है?
भाव का भूखा हूँ मैं और भाव ही एक सार है।भाव से मुझको भजे तो भव से बेड़ा पार है।।भाव

भाव का भूखा हूँ मैं और भाव ही एक सार है।भाव से मुझको भजे तो भव से बेड़ा पार है।।भाव

साधना का एक अत्यंत महत्वपूर्ण चरण यह है कि जैसे-जैसे साधना प्रगाढ़ होती जाती है, वैसे-वैसे साधक के मन में

तुलसीदासजी के राम' केवल दो लोगों का आतिथ्य स्वीकार करते हैं
रामचरितमानस देखें तो वनवास की अपनी महायात्रा के मध्य ‘ तुलसीदासजी के राम’ केवल दो लोगों का आतिथ्य स्वीकार करते

भगवान परशुराम जी का सुंदर चित्र जब वह अपनी नन्दिनी को आतताईयों से छूडाकर लाते हैं… सबसे बड़े गौ रक्षक

7 दिवस = 1 सप्ताह ■ 4 सप्ताह = 1 माह , ■ 2 माह = 1 ऋतू ■ 6

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।। लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुजचारी।भूषन

जय लक्ष्मी-सन्तोषी शुक्र मंत्र: हिमकुंद मृणालाभं दैत्याना परमं गुरूम्।सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:सर्व मंगल मांगल्ये

आज का प्रभु संकीर्तन।*मनुष्य योनि में जन्म लेकर हम एक सुन्दर समाज से जुड़ जाते हैं जिसमे रिश्ते,नातो के अतिरिक्त

श्रीनिवास जगन्नाथ श्रीहरे भक्तवत्सल।लक्ष्मीपते नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।१।। राधारमण गोविंद भक्तकामप्रपूरक।नारायण नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।२।। दामोदर महोदार सर्वापत्तीनिवारण।ऋषिकेश नमस्तुभ्यं त्राहि

गजाननाय गांगेयसहजाय सदात्मने।गौरीप्रिय तनूजाय गणेशायास्तु मंगलम्।। नागयज्ञोपवीदाय नतविघ्नविनाशिने।नंद्यादि गणनाथाय नायकायास्तु मंगलम्।। इभवक्त्राय चेंद्रादि वंदिताय चिदात्मने।ईशानप्रेमपात्राय नायकायास्तु मंगलम्।। सुमुखाय सुशुंडाग्रात्-क्षिप्तामृतघटाय च।सुरबृंद