
श्रीकृष्ण द्वादशनाम स्तोत्रम्
।। श्रीकृष्णद्वादशनामस्तोत्रम् ।। श्री गणेशाय नमः। श्रीकृष्ण उवाच।किं ते नामसहस्रेण विज्ञातेन तवाऽर्जुन।तानि नामानि विज्ञाय नरः पापैः प्रमुच्यते।।१।। प्रथमं तु हरिं

।। श्रीकृष्णद्वादशनामस्तोत्रम् ।। श्री गणेशाय नमः। श्रीकृष्ण उवाच।किं ते नामसहस्रेण विज्ञातेन तवाऽर्जुन।तानि नामानि विज्ञाय नरः पापैः प्रमुच्यते।।१।। प्रथमं तु हरिं

साधक को मंत्र जप और ध्यान दोनों ही साधता है । मंत्र जप हमारे हमारे मन को स्थिर करता है

(भोलेनाथ शंभू को प्रसन्न करने को भगवान श्रीराम द्वारा गाई गई स्तुति) नमामि शम्भो नमामि शम्भो !नमामि शम्भो नमामि शम्भो

||जय बलदाऊ||मित्रों, सुप्रभातम्_वरिष्ठ जनों को सादर प्रणाम_ मंगलवार, 5 सितंबर, 2023विक्रमी संवत 2080, शक संवत 1945भाद्रपद माह कृष्ण पक्षनक्षत्र: भरणी

ज्ञानवापी मंदिर के बारे मे विस्तृत जानकारी पुराणों के अनुसार, ज्ञानवापी की उत्पत्ति तब हुई थी जब धरती पर गंगा

हे नाथ, हे मेरे नाथ, मैं तुम्हें भूलूं नहीं, कभी न भूलूं तुझे, बस इतनी दया रखना हे नाथ मैं

. “ एक समय नारद जी यह जानकर की, भगवान् श्री कृष्ण ब्रज में प्रकट हुए हैं वीणा बजाते हुए

शब्द ही किसी मनुष्य के संस्कारों के मुल्यांकन का सबसे प्रभावी और सटीक आधार होते हैं। मनुष्य के केवल शब्द

ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन।तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती।। वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने।नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने।आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे।।

वैदिक पथिक-गोस्वामी तुलसीदासजी ने एक बड़ीगूढ़ बात कही है – रवि पंचक जाके नहीं, ताहि चतुर्थी नाहिं।तेहि सप्तक घेरे रहे,