
।। श्रीहरि स्तोत्रं ।।
जगज्जाल पालम् कचत् कण्ठमालंशरच्चन्द्र भालं महादैत्य कालम्।नभो-नीलकायम् दुरावारमायम्सुपद्मा सहायं भजेऽहं भजेऽहं।। सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्हासंबजगत्सन्निवासं शतादित्यभासम्।गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीत-वस्त्रंहसच्चारु-वक्रं भजेऽहं भजेऽहं।। रमाकण्ठहारं श्रुतिवातसारंजलान्तर्विहारं धराभारहारम्।चिदानन्दरूपं