Scriptures

।। श्रीहरि स्तोत्रं ।।

जगज्जाल पालम् कचत् कण्ठमालंशरच्चन्द्र भालं महादैत्य कालम्।नभो-नीलकायम् दुरावारमायम्सुपद्मा सहायं भजेऽहं भजेऽहं।। सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्हासंबजगत्सन्निवासं शतादित्यभासम्।गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीत-वस्त्रंहसच्चारु-वक्रं भजेऽहं भजेऽहं।। रमाकण्ठहारं श्रुतिवातसारंजलान्तर्विहारं धराभारहारम्।चिदानन्दरूपं

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(महारथी कर्ण)

।। श्रीहरि: ।। सहस्र कवच नाम का एक असुर था जो भगवान सूर्यदेव का अनन्य भक्त था। वैसे उसका असली

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सर्वारिष्टनिवारण शाबरीकवच ।।

। ॐ गं गणपतये नमः।सर्वविघ्न-विनाशनाय, सर्वारिष्ट निवारणाय, सर्वसौख्य प्रदाय, बालानां बुद्धिप्रदाय,नानाप्रकार धन-वाहन-भूमि प्रदाय, मनोवांछित फलप्रदाय रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।। ॐ

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जय श्री हरि

त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं।। भावार्थ- ‘हे भगवान! तुम्हीं माता

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सम्राट विक्रमादित्य

सम्राट विक्रमादित्य एक महान व्यक्तित्व और शक्ति का प्रतीक थे लेकिन, आज उनसे जूड़े सबूतों की अनुपस्थिति का मतलब यह

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