
(महारथी कर्ण)
।। श्रीहरि: ।। सहस्र कवच नाम का एक असुर था जो भगवान सूर्यदेव का अनन्य भक्त था। वैसे उसका असली

।। श्रीहरि: ।। सहस्र कवच नाम का एक असुर था जो भगवान सूर्यदेव का अनन्य भक्त था। वैसे उसका असली

हनुमान जी की पूजा से ही नहीं बल्कि उनसे कुछ बातें सीख लेने पर भी हमारी सभी परेशानियां दूर हो

। ॐ गं गणपतये नमः।सर्वविघ्न-विनाशनाय, सर्वारिष्ट निवारणाय, सर्वसौख्य प्रदाय, बालानां बुद्धिप्रदाय,नानाप्रकार धन-वाहन-भूमि प्रदाय, मनोवांछित फलप्रदाय रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।। ॐ

यह स्तोत्र स्वयं सिद्ध अनुभूत तथा अचूक है। अति गोपनीय स्तोत्र का जीवन में प्रयोग करें और अत्यंत चमत्कारिक लाभ

त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं।। भावार्थ- ‘हे भगवान! तुम्हीं माता

“एक भोगी राजा की दासी दीवान खंड की सफाई करते करते पलंग की सुंदरता देख दो मिनट के लिये बैठी

सम्राट विक्रमादित्य एक महान व्यक्तित्व और शक्ति का प्रतीक थे लेकिन, आज उनसे जूड़े सबूतों की अनुपस्थिति का मतलब यह

एक समय की बात है एक भाई बहन रहते थे। बहन का नियम था कि वह अपने भाई का चेहरा

यह सृष्टि चौरासी लाख योनियों का वन है, जिसमें विधाता ने हमें रखा है, जो प्रभु नाम रूपी आश्रय को

मानस -चिंतन जब सभी देवता यहाँ तक स्वयं ब्रह्मा और विष्णु जी असमंजस में थे कि वो परब्रह्म परमात्मा मिलेगा