
”व्यावहारिक नवनिधियाँ (अंक-१)
परम पूज्य श्रीसदगुरूदेव भगवान जी की असीम कृपा एवं उनके अमोघ आशीर्वाद से प्राप्त सुबोध के आधार पर, उन्हीं की

परम पूज्य श्रीसदगुरूदेव भगवान जी की असीम कृपा एवं उनके अमोघ आशीर्वाद से प्राप्त सुबोध के आधार पर, उन्हीं की
पढ़ाई पूरी करने के बाद एक छात्र किसी बड़ी कंपनी में नौकरी पाने की चाह में इंटरव्यू देने के लिए

सुना है: एक स्कूल में एक शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहा था। और वह कुछ सवाल पूछ रहा था गणित

प्रातः स्मरामि हनुमन्तमनन्तवीर्यंश्रीरामचन्द्रचरणाम्बुज चञ्चरीकम्।लङ्कापुरीदहननन्दितदेववृन्दंसर्वार्थसिद्धिसदनं प्रथितप्रभावम्।।१।। माध्यं नमामि वृजिनार्णवतारणैक-धीरं शरण्यमुदितानुपम प्रभावम्।सीताऽऽधिसिन्धुपरिशोषणकर्मदक्षंवन्दारुकल्पतरु मव्ययमाञ्जनेयम्।।२।। सायं भजामि शरणोपसृताखिलार्ति-पुञ्जप्रणाशनविधौ प्रथितप्रतापम्।अक्षान्तकं सकलराक्षसवंशधूम-केतुं प्रमोदितविदेहसुतं दयालुम्।।३।। ।। श्रीहनुमते

ॐ वन्दे सन्तं श्रीहनुमन्तं रामदासममलं बलवन्तम् । ।रामकथामृतमधु निपिबन्तं परमप्रेमभरेण नटन्तम् ।। प्रेमरुद्ध गलमश्रुवहन्तं पुलकाश्चित वपुषा विलसन्तम् । सर्वं राममयं

“प्रार्थना “ मंत्र में , प्रार्थनाओं में अद्भुत शक्ति होती है । ‘प्रार्थना ‘ जीवन की आस है, विश्वास है

ब्रह्माजी बोले :–हे नारद ! जब यह समाचार गुणनिधि को मिला तो उसे अपने भविष्य की चिंता हुई। वह कई

मैं अपने निवास स्थान योगेश भवन से निकलकर नजदीक ही स्थित भंवरताल पार्क की ओर जाने लगा। मेरी वह चाल

ॐ नमस्ते गणपतये।त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि।। त्वमेव केवलं कर्त्ताऽसि।त्वमेव केवलं धर्तासि।। त्वमेव केवलं हर्ताऽसि।त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि।। त्वं साक्षादत्मासि नित्यम्।ऋतं वच्मि।

एक मक्खी एक हाथी के ऊपर बैठ गयी हाथी को पता न चला मक्खी कब बैठी। मक्खी बहुत भिनभिनाई आवाज