
शंकर भगवान की स्तुति
आशुतोष सशाँक शेखर चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू कोटि नमन दिगम्बरा, निर्विकार ओमकार अविनाशी तुम्ही देवाधि देव ,जगत

आशुतोष सशाँक शेखर चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू कोटि नमन दिगम्बरा, निर्विकार ओमकार अविनाशी तुम्ही देवाधि देव ,जगत

*हे सच्चिदानंद स्वरुप, हे सर्वाधार सर्वेश्वर, सर्वव्यापक,सर्व अंतर्यामी आपके चरणों में हमारा प्रणाम स्वीकार हो।* हे अजर,अमर,अभय, नित्य पवित्र,शुद्ध-बुद्ध,मुक्त स्वभाव!

यह संसार रंगभरा है। प्रकृति की तरह ही रंगों का प्रभाव हमारी भावनाओं और संवेदनाओं पर पडता है। जैसे क्रोध

धाए धाम काम सब त्यागी।मनहु रंक निधि लूटन लागी।।जनकपुर के निवासियों को जब पता चला कि भूप सुत यानि प्रभु

।। शिवनमस्कार ।। ॐ नमो हिरण्यबाहवे हिरण्यवर्णाय हिरण्यरूपाय हिरण्यपतये अंबिकापतये उमापतये पशूपतये नमो नमः।।१।। नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः

रावण ने कैलाश पर्वत को उठा लिया फिर धनुष क्यों नहीं उठा पाया और श्री राम ने कैसे धनुष तोड़

श्रील रूप गोस्वामी जी ने अपने पदावली में लिखा है कि“जब कोई जीव “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे

।। नमो राघवाय ।। सीता लखन समेत प्रभु सोहत तुलसीदास।हरषत सुर बरषत सुमन सगुन सुमंगल बास।(दोहावली- २) अर्थ-तुलसीदासजी कहते हैं

प्रश्न १— धृतराष्ट्र ने संजय से क्या पूंछा ?उत्तर — धृतराष्ट्र ने संजय पूंछा कि धर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र में पाण्डव

।। नमो राघवाय ।। राजापुर से थोड़ी ही दूर यमुना के उस पार स्थित महेवा घाट की अति सुन्दरी भारद्वाज