
भगवद्गीता चौदहवें अध्याय का माहात्म्य
श्रीमहादेवजी कहते हैं:– हे प्रिय! अब मैं संसार-बन्धन से छुटकारा पाने के लिये चौदहवें अध्याय का माहात्म्य बतलाता हूँ, तुम

श्रीमहादेवजी कहते हैं:– हे प्रिय! अब मैं संसार-बन्धन से छुटकारा पाने के लिये चौदहवें अध्याय का माहात्म्य बतलाता हूँ, तुम

‘हे भारत ! तू सर्वभाव से उस परमात्मा की शरण जा, उसकी कृपा से तू परम शान्ति को, अविनाशी स्थान

श्रीमहादेवजी कहते हैं:– पार्वती ! अब तेरहवें अध्याय की महिमा का वर्णन सुनो, उसको सुनने से तुम बहुत प्रसन्न हो

ब्रह्माजी द्वारा भगवान नारायण की स्तुति किये जाने पर प्रभु ने उन्हें सम्पूर्ण भागवत-तत्त्व का उपदेश केवल चार श्लोकों मे

श्रीमहादेवजी कहते हैं:– पार्वती! दक्षिण दिशा में कोल्हापुर नामक एक नगर है, जो सब प्रकार के सुखों का आधार, सिद्ध-महात्माओं

*एक फकीर मरने को था। किसी ने उससे पूछा मरते वक्त कि तुमने किससे सीखा ज्ञान? उसने कहा, बड़ा कठिन

श्रीमद भगवद् गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि जो निरंतर मेरी कथा और नाम स्मरण में

.एक थे राजा सूर्यसेन। वह बहुत बड़े दानी थे। उनका प्रतिदिन का नियम था सवेरे जल्दी उठते नदी में स्नान

वृन्दावन में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह बाँकेबिहारी से असीम प्यार करता था। वह बाँकेबिहारी का इतना दीवाना था

श्री महादेवजी कहते हैं:- प्रिये! गीता के वर्णन से सम्बन्ध रखने वाली कथा और विश्वरूप अध्याय के पावन माहात्म्य को