भक्त की भगवान से पुकार 2
पल पल खुली और बन्द आंखों से प्रभु प्राण नाथ को निहारता है। मौन रहकर भी बोलता है बोलते हुए
पल पल खुली और बन्द आंखों से प्रभु प्राण नाथ को निहारता है। मौन रहकर भी बोलता है बोलते हुए
दिल मे जब प्रभु मिलन की तङफ बढ जाती है तब होश शरीर को नहीं होता है। पल पल याद
एक सखी उस सांवरे से कुछ समय बाद मिलन की बात कर रही है तब दुसरी सखी पहली सखी से
हमे देखना यह है कि हमने भगवान नाथ श्री हरी के सामने झोली किस लिए फैलाई है। हम अपने स्वामी
एक मन्दिर था। उसमें सभी लोग पगार पर थे। आरती वाला, पूजा कराने वाला आदमी, घण्टा बजाने वाला भी पगार
एक बार सन्त दादू जंगल में विश्राम कर रहे थे। उनके दर्शन के लिए लोग वहाँ भी आने लगे।
मेघनाद से युद्ध करते हुए जब लक्ष्मण जी को शक्ति लग जाती है और श्री हनुमानजी उनके लिये संजीवनी का
एक बार एक सखी का नया-नया विवाह वृंदावन में हुआ, उसने कभी श्याम सुन्दर को देखा नहीं था। उसकी सास
एक गांव में भागवत कथा का आयोजन किया गया, पंडित जी भागवत कथा सुनाने आए। पूरे सप्ताह कथा वाचन
आरती श्री रामायण जी की कीरति कलित ललित सिय पी की। गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद बाल्मीक विग्यान बिशारद। शुक सनकादि