
कर्मो के क्लेश की प्रार्थना 1
एक भक्त अपने अराध्य को जब वन्दन कर रहा है तब अपने आप को परमेशवर स्वामी भगवान् नाथ के योग्य
एक भक्त अपने अराध्य को जब वन्दन कर रहा है तब अपने आप को परमेशवर स्वामी भगवान् नाथ के योग्य
मै स्तुति करती हुई अन्तर्मन से चली जा रही हूं। मैंने भिक्षा की झोली थाम रखी है।मै स्वामी भगवान् नाथ
हम सत्संग में परमात्मा को अनेकों भावों से मनाते हैं। परमात्मा की विनती करते हुए कहते हैं कि हे परमात्मा
पल पल खुली और बन्द आंखों से प्रभु प्राण नाथ को निहारता है। मौन रहकर भी बोलता है बोलते हुए
दिल मे जब प्रभु मिलन की तङफ बढ जाती है तब होश शरीर को नहीं होता है। पल पल याद
एक सखी उस सांवरे से कुछ समय बाद मिलन की बात कर रही है तब दुसरी सखी पहली सखी से
हमे देखना यह है कि हमने भगवान नाथ श्री हरी के सामने झोली किस लिए फैलाई है। हम अपने स्वामी
एक मन्दिर था। उसमें सभी लोग पगार पर थे। आरती वाला, पूजा कराने वाला आदमी, घण्टा बजाने वाला भी पगार
एक बार सन्त दादू जंगल में विश्राम कर रहे थे। उनके दर्शन के लिए लोग वहाँ भी आने लगे।
मेघनाद से युद्ध करते हुए जब लक्ष्मण जी को शक्ति लग जाती है और श्री हनुमानजी उनके लिये संजीवनी का