
समर्पण भाव…..
एक साधु द्वार-द्वार घूमकर भिक्षा मांग रहा था, वृद्ध साधु को आंखों से दिखाई नहीं देता था, वह एक मन्दिरके

एक साधु द्वार-द्वार घूमकर भिक्षा मांग रहा था, वृद्ध साधु को आंखों से दिखाई नहीं देता था, वह एक मन्दिरके

हे परमेश्वरी! मेरे द्वारा रात-दिन सहस्त्रों अपराध होते रहते है. ‘यह मेरा दास है’ यों समझकर मेरे उन अपराधो को

जयश्रीराम श्री गुरु चरण सरोजनिज मन मुकुरू सुधारिबरनाऊ रघुवर बिमल यशजो दायक फल चारिबुद्धिहीन तनु जानिकेसुमिरो पवन कुमारबल बुद्धि विद्या

कन्धे पर कपड़े का थान लादे और हाट-बाजार जाने की तैयारी करते हुए नामदेव जी से पत्नि ने कहा- भगत

सहजो बाई जी अपनी कुटिया के द्वार पर बैठी थी, उसकी “गुरुभक्ति” से खुश होकर “परमात्मा” प्रकट हो गये, लेकिन

तपती गर्मी का समय था. घने जंगल में एक बरगद के पीड़े के नीचे एक स्त्री बैठी थी. वह नवविवाहिता

एक बार एक सेठ ने पंडित जी को निमंत्रण किया पर पंडित जी का एकादशी का व्रत था तो पंडित

सीया-रघुवर जी की आरती, शुभ आरती कीजिये -२ सीस मुकुट काने कुण्डल शोभे -२ राम लखन सीय जानकी, शुभ आरती

ज्येष्ठा कृष्ण एकादशी… युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवन! ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी का क्या नाम है, तथा उसका माहात्म्य क्या

भगवान का चिन्तन, मनन, सिमरण, स्मरण करते हुए भक्त को सबकुछ प्रभु रूप दिखने लगता है। भक्त को अपने अन्तर्मन