
नमस्कार भाव
हम नमस्कार करते हैं तब हाथ जोड़कर शिश नवा कर नतमस्तक होते हैं नमस्कार में दो हाथ दस ऊंगलियां एक
हम नमस्कार करते हैं तब हाथ जोड़कर शिश नवा कर नतमस्तक होते हैं नमस्कार में दो हाथ दस ऊंगलियां एक
परमात्मा को दिल में बिठा ले। हे प्रभु हे स्वामी हे भगवान् नाथ आज ये दिल तुमसे मिलने के लिए
प्रभु! तीनो लोकों के स्वामी है, अरे वह तो जगत के स्वामी है ,अरे भैया जगत को प्रभु ने ही
एक बार पश्चिम बंगाल के श्रीखण्ड नामक स्थान पर भगवान के एक भक्त, श्रीमुकुन्द दास रहते थे। श्रीमुकुन्द दास के
इस शरीर से ही हम परम तत्व परमात्मा तक पहुंचते हैं अध्यात्म के मार्ग में करके देखने पर स्वयं ही
सब भगवान से चाहते है, पर भगवान को कोई नहीं चाहता !हम ईश्वर से हमेशा कुछ न कुछ माँगते ही
एक व्यक्ति गाड़ी से उतरा… और बड़ी तेज़ी से एयरपोर्ट में घुसा, जहाज़ उड़ने के लिए तैयार था, उसे किसी
मोत के भय ने पहुंचाया , काल के कगार ,मिला अमरत्व फिर भी , पहुंचे मृत्यु के द्वार !रखते जो
,, तू वही है जिसे सदियों से ढूँढ़ते हैं हम ,,!! तू वही है जिसे याद कर जीते हैं हम
इस शरीर को पालते हुए भी अ प्राणी तु भगवान का बन जब तु चलता है तब अन्तर्मन मे धारण