माँदुर्गा गायत्री एवं ध्यानमंत्र
यह मंत्र आत्मा की ऊर्जा को शुद्ध करने और माँ दुर्गा के प्रति विश्वास और समर्पण को बढ़ावा देने का
यह मंत्र आत्मा की ऊर्जा को शुद्ध करने और माँ दुर्गा के प्रति विश्वास और समर्पण को बढ़ावा देने का
सरस्वत्यां प्रसादेन, काव्यं कुर्वन्ति मानवाः।तस्मान्निश्चल-भावेन, पूजनीया सरस्वती।।१।। श्री सर्वज्ञ मुखोत्पन्ना, भारती बहुभाषिणी।अज्ञानतिमिरं हन्ति, विद्या-बहुविकासिनी।।२।। सरस्वती मया दृष्टा, दिव्या कमललोचना।हंसस्कन्ध-समारूढ़ा, वीणा-पुस्तक-धारिणी।।३।।
” श्रीगणेशायनम: ! अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य । बुधकौशिक ऋषि: । श्रीसीतारामचंद्रोदेवता ।अनुष्टुप् छन्द: । सीता शक्ति: । श्रीमद्हनुमान् कीलकम् ।श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे
श्रीराम गोविन्द मुकुन्द कृष्णश्री नाथ विष्णो भगवन्नमस्ते।प्रौढारिषड् वर्ग महाभयेभ्योमां त्राहि नारायण विश्वमूर्ते।। भगवान विष्णु ने जब रघुवंशी महाराज दशरथ के
70+ देशों के प्रतिनिधि 22 जनवरी को अयोध्या आ रहे हैं…अधिकांश बड़े क्रिकेटर, बॉलीवुड वाले आ रहे हैं…अदानी, अंबानी, बिरला
श्रीरामः शरणं मम।लक्ष्मीनाथसमारम्भां नाथयामुनमध्यमाम्।अस्मदाचार्यपर्यन्तां वन्दे गुरुपरम्पराम्।। स सर्वं सिद्धिमासाद्य ह्यन्ते रामपदं व्रजेत्।चिन्तयेच्चेतसा नित्यं श्रीरामःशरणं मम।।१।। विश्वस्य चात्मनोनित्यं पारतन्त्र्यं विचिन्त्य च।चिन्तयेच्चेतसा
इन्द्र उवाचऊँ नम: कमलवासिन्यै नारायण्यै नमो नम:।कृष्णप्रियायै सारायै पद्मायै च नमो नम:।।१।। अर्थ-देवराज इन्द्र बोले- भगवती कमलवासिनी को नमस्कार है।
विष्णवे विष्णवे नित्यं विष्णवे विष्णवे नम:।नमामि विष्णुं चित्तस्थमहंकारगतिं हरिम।। चित्तस्थमीशमव्यक्तमनन्तमपराजितं।विष्णुमीडयमशेषेण अनादिनिधनं विभुम।। विष्णुक्षितगतो यन्मे विष्णुर्बुद्धिगतक्ष यत।यव्वार्हकारगो विष्णुर्यद्विष्णुर्मयि संस्थित:।। करोति कर्मभूतोऽसौ
श्रीगणेशाय नमः। ॐ देवानां कार्यसिध्यर्थं सभास्तम्भसमुद्भवम् ।श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये।।१।। लक्ष्म्यालिङ्गितवामाङ्गं भक्तानामभयप्रदम्।श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये।।२।। प्रह्लादवरदं श्रीशं दैतेश्वरविदारणम्।श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि
।। ।। हनुमान वडवानल स्तोत्रम् की रचना विभीषण द्वारा की गयी है। यह मन्त्र हनुमान जी की स्तुति और आराधना