भगवान्पर निर्भरता
भगवान्पर निर्भरता श्रीगंगाजीके पार जानेके लिये नावमें कुछ स्त्री बैठे हुए • थे। जब नाव गंगाजीके बीचमें पहुँची तो पुरुष
भगवान्पर निर्भरता श्रीगंगाजीके पार जानेके लिये नावमें कुछ स्त्री बैठे हुए • थे। जब नाव गंगाजीके बीचमें पहुँची तो पुरुष
हैहय क्षत्रियोंके वंशमें एक परपुरञ्जय नामक राजकुमार हो गये हैं। एक बार वे वनमें आखेटके लिये गये। वृक्षोंकी आइसे उन्होंने
मेघनाद से युद्ध करते हुए जब लक्ष्मण जी को शक्ति लग जाती है और श्री हनुमानजी उनके लिये संजीवनी का
किसी वनमें खरनखर नामक एक सिंह रहता था। एक दिन उसे बड़ी भूख लगी। वह शिकारकी खोज में दिनभर इधर-उधर
विपन्न विधवाकी मदद श्री ईश्वरचन्द्र विद्यासागर वस्तुतः विद्याके सागर थे। उनके जीवनकी एक अनुकरणीय घटना है। उन्हें पता चला कि
प्राचीन कालमें चन्द्रप्रभ नामके एक राजर्षि थे। भगवान् श्रीकृष्णकी कृपासे उन्हें चित्रध्वज नामक सुन्दर पुत्र प्राप्त था। वह लड़कपनसे ही
दिल्लीका बादशाह गयासुद्दीन बाणसे निशाना मारनेका अभ्यास कर रहा था। अचानक एक बाण लक्ष्यसे भटक गया और एक बालकको लगा।
गोबर और गोमूत्रमें लक्ष्मीका निवास एक समयकी बात है, लक्ष्मीने मनोहर रूप धारण करके गौओंके झुण्डमें प्रवेश किया, उनके सुन्दर
पहले पात्रता, तब दीक्षा एक बार एक धनी वणिक्ने एक महात्मासे दीक्षादेनेका अनुरोध किया। साधुने बात टालनेका प्रयत्न किया, किंतु
कनिष्ठाः पुत्रवत् पाल्या भ्रात्रा ज्येष्ठेन निर्मलाः । प्रगाथो निर्मलो भ्रातुः प्रागात् कण्वस्य पुत्रताम् ॥ (नीतिमञ्जरी 111) महर्षि धोरके पुत्र कण्व