
खूब विचारकर कार्य करनेसे ही शोभा है
किसी वनमें खरनखर नामक एक सिंह रहता था। एक दिन उसे बड़ी भूख लगी। वह शिकारकी खोज में दिनभर इधर-उधर

किसी वनमें खरनखर नामक एक सिंह रहता था। एक दिन उसे बड़ी भूख लगी। वह शिकारकी खोज में दिनभर इधर-उधर

विपन्न विधवाकी मदद श्री ईश्वरचन्द्र विद्यासागर वस्तुतः विद्याके सागर थे। उनके जीवनकी एक अनुकरणीय घटना है। उन्हें पता चला कि

प्राचीन कालमें चन्द्रप्रभ नामके एक राजर्षि थे। भगवान् श्रीकृष्णकी कृपासे उन्हें चित्रध्वज नामक सुन्दर पुत्र प्राप्त था। वह लड़कपनसे ही

दिल्लीका बादशाह गयासुद्दीन बाणसे निशाना मारनेका अभ्यास कर रहा था। अचानक एक बाण लक्ष्यसे भटक गया और एक बालकको लगा।

गोबर और गोमूत्रमें लक्ष्मीका निवास एक समयकी बात है, लक्ष्मीने मनोहर रूप धारण करके गौओंके झुण्डमें प्रवेश किया, उनके सुन्दर

पहले पात्रता, तब दीक्षा एक बार एक धनी वणिक्ने एक महात्मासे दीक्षादेनेका अनुरोध किया। साधुने बात टालनेका प्रयत्न किया, किंतु

कनिष्ठाः पुत्रवत् पाल्या भ्रात्रा ज्येष्ठेन निर्मलाः । प्रगाथो निर्मलो भ्रातुः प्रागात् कण्वस्य पुत्रताम् ॥ (नीतिमञ्जरी 111) महर्षि धोरके पुत्र कण्व

जहाँ चाह, वहाँ राह अस्सी वर्ष पूर्व उत्तरप्रदेशके गोपामऊ नामक गाँवमें एक बालकका जन्म हुआ। उसके हाथ कलाईके पाससे जुड़े

एक बार महात्मा गांधीके पास एक उद्धत युवा पुरुष आया और उसने उनसे लगातार प्रश्नोंकी झड़ी लगा दी। बहुत-से बेसिर-पैरके

झूठ बोलनेका परिणाम एक चरवाहा किसी वनमें गायें चराया करता था। चरागाहके निकटके वनमें बाघका निवास था। चरवाहा खेल-खेलमें ही