
अहिंसाकी हिंसापर विजय
अर्जुनमाली बड़ी श्रद्धापूर्वक एक यक्षकी नित्य | 1 पूजा करता था। एक दिन उसने जैसे ही पूजा समाप्त की, छः

अर्जुनमाली बड़ी श्रद्धापूर्वक एक यक्षकी नित्य | 1 पूजा करता था। एक दिन उसने जैसे ही पूजा समाप्त की, छः

हनुमान्जीके द्वारा सीताके समाचार सुनकर भगवान् | श्रीराम गगद होकर कहने लगे- ‘हनुमान् ! देवता, मनुष्य मुनि आदि शरीरधारियोंमें कोई

दो सगे भाई थे, ब्राह्मण थे और दरिद्र थे। बहुत कम पढ़े-लिखे थे दोनों कंगालीसे ऊबकर दोनों साथ ही घरसे

एक समय कुरुदेशमें ओलोंकी बड़ी भारी वर्षा हुईं। इससे सारे उगते हुए पौधे नष्ट हो गये और भयानक अकाल पड़

दण्डमें ईखका खेत समर्थ गुरु श्रीरामदास थे छत्रपति शिवाजी महाराजक गुरु । एक बार वे अपने चेलोंके साथ शिवाजीके पास

एक महिला थी। उसका नाम था कान्हबाई वह श्रीकृष्णके बाल रूपकी भक्ति करती थी। कहा जाता है कि जब वह

(5) सेवककी सूझ-बूझका प्रभाव एक राजाके पास तीन मूर्तियाँ थी। एक दिन एक राजाके पास तीन मूर्तियाँ थी। एक दिन

भगवान् श्रीरामके विषयमें प्रसिद्ध है कि ये वनयात्राके समय रत्तीभर भी उद्विग्न नहीं हुए थे- तथा न मम्ले वनवासदुःखतः।’ बल्कि

सबसे पहले कर्तव्य एक बार बुद्ध किसी गाँवमें अपने एक किसान भक्त यहाँ गये। शामको किसानने उनके प्रवचनका आयोजन किया।

अपनी पुत्रीके दृढ़ निश्चयको देखकर धर्मात्मा नरेशने अधिक आग्रह करना उचित नहीं माना। देवर्षि नारदजीने भी सावित्रीके निश्चयकी प्रशंसा की।