सूरदास और कन्या
उस समय मुगलसम्राट् अकबर राज्य कर रहा था। उसके बहुत-सी हिंदू बेगमें भी थीं। उनमेंसे एकका नाम था जोधाबाई ।
उस समय मुगलसम्राट् अकबर राज्य कर रहा था। उसके बहुत-सी हिंदू बेगमें भी थीं। उनमेंसे एकका नाम था जोधाबाई ।
जूलियस सीज़रके विरुद्ध उसके शत्रु षड्यन्त्र करनेमें लगे थे। उसके शुभचिन्तकों तथा मित्रोंने सलाह दी – ‘आप अपने अङ्गरक्षक सिपाहियों
समताका भाव एकबार युद्ध से सम्बन्धित कोई विशेष समाचार लेकर एक सैनिक वायुवेगसे सम्राट् नेपोलियनके पास आया। उस सैनिकका घोड़ा
सन् 1831 की बात है, एक 12 वर्षका हिंदू । बालक चित्तूरके जिला – जजके दरवाजेपर उपस्थित हुआ। वह एक
मन्दिरके धनका दुरुपयोग करनेका दुष्परिणाम श्रीकुलदानन्द ब्रह्मचारीने श्रीसद्गुरुसंग नामक ग्रन्थमें महात्मा विजयकृष्ण गोस्वामीके निम्नलिखित वृत्तान्तको : उद्धृत किया है-‘एक दिन
सरोयोगी अथवा पोयगै आळवार, भूतत्ताळवार और वार ये तीनों ही अद्भुत ज्ञानी एवं भगवान्के धक थे। ये निर्लोभी और भगवान्के
प्राचीनकालमें देव-ब्राह्मणनिन्दक एक प्रसिद्ध जुआरी था। वह महापापी तथा व्यभिचार आदि अन्य दुर्गुणोंसे भी दूषित था। एक दिन कपटपूर्वक जूएसे
दर्पणकी सीख पुराने जमाने की बात है। एक गुरुकुलके आचार्य अपने शिष्यकी सेवा-भावनासे बहुत प्रभावित हुए। विद्या पूरी होनेके बाद
भावनापूर्ण दान महाराज कुशलने जयतीर्थका पुनरुद्धार कार्य शुरू करवाया। नगरके धनिकोंने उसमें काफी दान देकर स्वेच्छासे सहयोग दिया। नगरकी एक
शास्त्रीजीकी नियमनिष्ठा यह घटना उन दिनोंकी है, जब लालबहादुर शास्त्री भारतके गृहमन्त्री थे। शास्त्रीजीकी सादगी सर्वविदित है। वे स्वयंपर अथवा