ईश्वर रक्षक है
एक आचार्य संत एक वृक्षके नीचे अकेले सो रहे थे। उनका एक विरोधी वहाँ पहुँचा और उसने ललकारा-‘अरे, उठ और
एक आचार्य संत एक वृक्षके नीचे अकेले सो रहे थे। उनका एक विरोधी वहाँ पहुँचा और उसने ललकारा-‘अरे, उठ और
प्राचीन कालमें किसी शहरमें एक राजा रहता था। वहीं पासके ही वनमें एक ब्राह्मण भी रहता था। उस ब्राह्मणकी एक
धर्मका सार डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन् छोटी आयुमें एक ईसाई मिशनरी स्कूलके छात्र थे। एक बार उनकी कक्षामें एक शिक्षक पढ़ा
अवन्तीप्रदेशके कुरघर नगरमें साधु कोटिकर्ण पधारे थे। उनका प्रवचन सुनने नगरके श्रद्धालु जनोंकी भीड़ एकत्र होती थी। श्राविका कातियानी भी
अब्राहम लिंकन अमेरिकाके राष्ट्रपति थे। उनके शासनकालमें अमेरिका बहुत समृद्ध और समुन्नत था । पर कमी केवल इस बातकी थी
बात न पुरानी है, न सुनी हुई कहानी है। कानसे ज्यादा आँखें जानती हैं। कहानीके सभी पात्र जीवित हैं: अतएव
पैठणमें कुछ दुष्टोंने मिलकर घोषणा की कि ‘जो कोई एकनाथ महाराजको क्रोध दिला देगा, उसे दो सौ रुपये इनाम दिया
चरैवेतिके उपदेशक (म0म0 देवर्षि श्रीकलानाथजी शास्त्री) वेदके व्याख्याकार और ऐतरेय ब्राह्मणके प्रणेता महीदास ऐतरेय वेदकालीन भारतके ऐसे तपस्वी ऋषि हुए
जीवन मिश्र नामके एक पण्डित थे। वे देवीके भक्त थे। एक दिन वे कहींसे देवीको पूजा करवाके आ रहे थे।
उसका नाम श्रुतावती था; वह महर्षि भरद्वाजकी स्नेहमयी कन्या थी, बालब्रह्मचारिणी थी; उसमें यौवन था, रूप और रस था; पर