राष्ट्रधर्म
राष्ट्रधर्म सन् 1857 ई0के प्रथम स्वतन्त्रता-समरके दिन थे। रायबरेली के सलोन नामक स्थानपर रहनेवाले अंग्रेजपरिवारको क्षेत्रमें सक्रिय क्रान्तिकारियोंसे खतरा अनुभव
राष्ट्रधर्म सन् 1857 ई0के प्रथम स्वतन्त्रता-समरके दिन थे। रायबरेली के सलोन नामक स्थानपर रहनेवाले अंग्रेजपरिवारको क्षेत्रमें सक्रिय क्रान्तिकारियोंसे खतरा अनुभव
गांधीजी उड़ीसा यात्रा ‘हाँ, अब मुझे ठीक तौरपर प्रणाम करो तुम जानते हो कि मेरा रक्तका दबाव 195 है?’ महात्माजीने
यौवन, धन, प्रभुत्व और अविवेक अनर्थकारी धनाधीश कुबेरके दो पुत्र थे- नलकूबर और मणिग्रीव। कुबेरके पुत्र, फिर सम्पत्तिका पूछना क्या
आयु कुल चार वर्ष ईरानके बादशाह नौशेरवाँका, जो भी मिले उसीसे कुछ-न-कुछ सीखनेका स्वभाव हो गया था। अपने इस गुणके
दुश्मन है तो क्या ! पिछले विश्वयुद्धकी बात है। अमेरिकनोंने अत्तू द्वीपपर हमला किया। चीचागोफमें जाकर लड़ाई हुई। बहुत-से अमेरिकी
श्रीराम-सीता लक्ष्मण वन पधार गये। श्रीदशरथजीकी मृत्यु हो गयी। भरतजी ननिहालसे अयोध्या आये। सब समाचार सुनकर अत्यन्त मर्माहत हो गये।
[11] परिश्रमका फल एक किसानको खेती बहुतसे गुर मालूम थे, परंतु उसके पुत्रोंमें उन्हें सीखनेका धैर्य नहीं था। उसे अही
मधुर कविके गुरुका नाम नम्माळवार- शठकोप था। वे तिरुक्कुरुकूर – श्रीनगरीमें उत्पन्न हुए थे। इनके जन्म लेते ही माता-पिताने इन्हें
एक बार कैलासके शिखरपर श्रीश्रीगौरीशङ्कर | भगवद्भक्तोंके विषयमें कुछ वार्तालाप कर रहे थे। उसी प्रसङ्गमें जगज्जननी श्रीपार्वतीजीने आशुतोष श्रीभोलेबाबा से
समर्थ होकर भी चिकित्सा न करनेवाला निन्दाका पात्र होता है अभिमन्युके पुत्र राजा परीक्षित् धर्मके अनुसार इस पृथ्वीका पालन करते