अज्ञानमें करना मूर्खता तो जानकर करना अपराध
अज्ञानमें करना मूर्खता तो जानकर करना अपराध हेनरी थोरो (1817 – 1862 ई0) अमेरिकाके प्रधान चिन्तक एवं विचारक माने जाते
अज्ञानमें करना मूर्खता तो जानकर करना अपराध हेनरी थोरो (1817 – 1862 ई0) अमेरिकाके प्रधान चिन्तक एवं विचारक माने जाते
मायामय संसार पूर्वकालमें देवशर्मा नामके एक ब्राह्मण थे, जो वेदोंके पारगामी विद्वान् थे और सदा स्वाध्यायमें ही लगे रहते थे।
द्वारकाके पास पिंडारकक्षेत्रमें स्वभावतः घूमते हुए कुछ ऋषि आ गये थे। उनमें थे विश्वामित्र, असित, कण्व, दुर्वासा, भृगु, अङ्गिरा, कश्यप,
(6) वीणाके तार भगवान् बुद्धका एक शिष्य था श्रौण। श्रौण कभी राजा था। एक बार भगवान् बुद्ध उसके राज्यमें गये
मातृसेवा – मुक्तिकी सीढ़ी एक उत्साही नवयुवक रामकृष्ण परमहंसकी सेवामें पहुँचा। वह परमहंसके चरणोंमें झुक गया, उसने पूर्ण भक्तिभावसे उनसे
मिश्र देशके प्रसिद्ध संत एन्थानीने अठारह सौ वर्ष पहले जो नाम कमाया, वह विश्वके संतसाहित्यकी एक अमूल्य निधि है। वे
तुलसी अद्भुत देवता आसा देवी नाम। सेये सोक समर्पई बिमुख भये अभिराम ॥ एक बार युधिष्ठिरने भीष्मजीसे पूछा कि ‘पितामह!
किसी नरेशने मन्त्रीसे चार वस्तुएँ माँगीं-1- है | और है, 2- है और नहीं है, 3- नहीं है पर है,
[महाभारत] आदत खराब नहीं करनी चाहिये प्राचीन समयमें एक सेठ-सेठानी थे, सुखी-सम्पन्न थे, पर अकेले ही थे। उन्होंने एक गाय
रोमका एक चित्रकार ऐसे व्यक्तिका चित्र बनाना चाहता था जिसके मुखसे भोलेपन, सरलता और दीनताके भाव स्पष्ट प्रकट होते हों।