
भगवत्-विस्मृतिका पश्चात्ताप
एक बार गांधीजीको दक्षिणभारतके दौरेमें चर्खा दंगल देखनेमें बड़ी रात हो गयी। वहाँसे जब वे लौटे, तब इतने थक गये

एक बार गांधीजीको दक्षिणभारतके दौरेमें चर्खा दंगल देखनेमें बड़ी रात हो गयी। वहाँसे जब वे लौटे, तब इतने थक गये

वृन्दावनमें एक महात्मा हो गये हैं। उनका नाम था नारायणस्वामी। वे कुसुमसरोवरपर रहा करते थे। वहीं मन्दिरका एक पुजारी भी

परमेश्वर हमारे अन्दर है वृन्दावनमें एक वृद्ध महिला रहती थीं। उनका नाम था माया। वे एक छोटी-सी कुटियामें अकेले रहती

द्रौपदीके साथ पाण्डव वनवासके अन्तिम वर्ष अज्ञातवासके समयमें वेश तथा नाम बदलकर राजा विराटके यहाँ रहते थे। उस समय द्रौपदीने

शिक्षक होनेका अर्थ एक छोटेसे शहरके एक प्राथमिक स्कूलमें कक्षा पाँचकी एक शिक्षिका थीं। उनकी एक आदत थी कि वह

भाई-बहनका आदर्श प्रेम इन्द्रप्रस्थमें राजसूय यज्ञ पूर्ण होनेपर चक्रवर्ती सम्राट् युधिष्ठिर अपने पूज्य गुरुजनों, कुटुम्बियों तथा अभ्यागत नरेशोंके साथ राजसभामें

थेरीगाथाकी बौद्ध भिक्षुणियाँ – कतिपय प्रसंग बौद्ध धार्मिक साहित्य, जो पाली भाषामें है, उसमें ‘तिपिटक’ (संस्कृत-त्रिपिटक)- का विशेष स्थान है।

महर्षि गौतमके एक पुत्रका नाम था चिरकारी वे बुद्धिमान थे, कार्यकुशल थे, किंतु प्रत्येक कार्यको बहुत सोच-विचार करनेके पश्चात् करते

घरमें ही वैरागी चक्रवर्ती भरतके जीवनकी एक घटना है कि एक दिन एक विप्रदेवने उनसे पूछा- ‘महाराज! आप वैरागी हैं

‘भय बिनु होइ न प्रीति’ सेनासहित लंका जानेके लिये श्रीरघुनाथजी समुद्रके तटपर कुशा विछा महासागरके समक्ष हाथ जोड़ पूर्वाभिमुख हो