
बलिप्रथा अधर्म है
बलिप्रथा अधर्म है ढाई सौ वर्ष पूर्व कुरुक्षेत्रमें जनमे योगिराज वनखण्डी महाराज परम विरक्त एवं सेवाभावी सन्त थे। उन्होंने दस

बलिप्रथा अधर्म है ढाई सौ वर्ष पूर्व कुरुक्षेत्रमें जनमे योगिराज वनखण्डी महाराज परम विरक्त एवं सेवाभावी सन्त थे। उन्होंने दस

‘चिरकारी प्रशस्यते’ महर्षि गौतम (मेधातिथि) के एक चिरकारी नामवाला पुत्र था, जो बड़ा बुद्धिमान् था। वह किसी कार्यपर बहुत देरतक

शीलवतीकी कथा नदीके किनारे बसे किसी नगरमें एक वणिक् कुटुम्ब निवास करता था। उस परिवारमें चार जन थे— ससुर-सास और

चक्रवर्ती सम्राट् भरतकी धारणा थी कि वे समस्त भूमण्डलके प्रथम चक्रवर्ती हैं-कम-से-कम वे ऐसे प्रथम चक्रवर्ती हैं, जो वृषभाचलपर पहुँच

चित्तकी वासनाओंसे मुक्तिका उपाय हम अकसर यह सोचते हैं कि भजन करनेसे पूर्व हमारा चित्त पूर्णरूपसे निर्द्वन्द्व हो जाय और

ज्ञानका मोल चीनी यात्री ह्यू-एन-त्सांगने नालन्दा विश्वविद्यालय में शिक्षा पूर्णकर कुछ दिनोंतक अध्यापन कार्य भी किया। तत्पश्चात् उसने स्वदेश जानेका

एक साधुने ईश्वरप्राप्तिकी साधनाके लिये कठिन तप करते हुए छ: वर्ष एकान्त गुफामें बिताये और प्रभुसे प्रार्थना की कि ‘प्रभो!

दक्षिण भारतका बहुत छोटा-सा राज्य था बल्लारी उसका शासक कोई वीर पुरुष नहीं था, एक विधवा नारी थी। परंतु वह

‘दक्षिणेश्वर मन्दिरके परमहंसदेव समर्थ हैं मेरी विपत्ति दूर करनेके लिये। वे मुझे कितना चाहते हैं!’ नरेन्द्र (विवेकानन्द) – ने दक्षिणेश्वर

माँ ईश्वरका प्रतिरूप है डॉo Wayne Dyer ( वायने डायर) का ‘Your Sacred Self (योर सैक्रेड सेल्फ) में दिया निम्नलिखित