
यज्ञमें या देवताके लिये की गयी पशुबलि भी पुण्योंको
विदर्भदेशमें सत्य नामका एक दरिद्र ब्राह्मण था । उसका विश्वास था कि देवताके लिये पशु बलि देनी ही चाहिये। परंतु

विदर्भदेशमें सत्य नामका एक दरिद्र ब्राह्मण था । उसका विश्वास था कि देवताके लिये पशु बलि देनी ही चाहिये। परंतु

महाभारतके बुद्धका सत्रहवाँ दिन समाप्त हो गया था महारथी कर्ण रणभूमिमें गिर चुके थे शिविरमें आनन्दोत्सव हो रहा था। ऐसे

संत हुसेनके साथी तपस्वी मलिक दिनार थे। वे अत्यन्त सरल एवं पवित्र हृदयके महात्मा थे। एक दिन एक स्त्रीने उनको

कहते हैं कि प्राचीन रोमनिवासियोंके न्यायालयों व्यापके स्थानपर एक ऐसी स्त्रीको प्रतिमा बनी रहती श्री. जिसको आँखोंके ऊपर तो कपड़े

बगदादके एक खलीफाने अपना वेतन भी निश्चित कर रखा था। राजकार्य तथा प्रजाकी सेवाके बदले वे राज्यके कोषसे प्रतिदिन संध्यासमय

हजरत अलीका एक सेवक उनसे झगड़कर भाग गया था। एक दिन जब कुफा शहरमें अली सबेरेकी नमाज पढ़ रहे थे,

साइमन नामक एक प्रेमी व्यक्तिने महात्मा ईसामसीहको भोजनके लिये अपने घर निमन्त्रित किया। एक नगर-महिलाने साइमनके घरमें प्रवेश किया। उसने

राजाके पापसे प्रजाका विनाश होता है बृहस्पतिजी देवताओंके गुरु हैं। एक बार वे इन्द्रके अवहेलनापूर्ण व्यवहारसे खिन्न हो गये। तब

शाबाश, अक्षयकुमार 21 दिसम्बर, 1953 ई0 की घटना है। उत्तर प्रदेशके गाजीपुर जिलेके गाँधीनगर कस्बेके पासकी। ताजपुर देहमा और करीमुद्दीनपुर

महात्मा श्रीसूरदासजी जन्मान्ध थे। एक बार वे अपनी मस्तीमें कहाँ जा रहे थे। रास्तेमें एक सूखा कु । वे उसमें